न्यूज़ डेस्क : पाकिस्तान पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति और भारत के खिलाफ आतंकियों के शिविरों को प्रोत्साहन देने का गुनाह स्वीकार करने वाले परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई गई है। जिसके बाद पाक पीएम इमरान खान की सूचना और प्रसारण पर विशेष सहायक फिरदौस आशिक अवान ने कहा है कि सरकार अदालत के फैसले की विस्तार से समीक्षा करेगी।
इस्लामाबाद में अवान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कानूनी विशेषज्ञों ने सभी कानूनी और सियासी पहलुओं के साथ राष्ट्रीय हितों के प्रभाव का विश्लेषण किया है। मुशर्रफ को पाकिस्तान वापस लाने के सवाल पर अवान ने कहा कि इस मसले का आकलन भी कानूनी टीम के साथ सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बुधवार को विदेश यात्रा से लौटकर जमीनी हकीकत और कानूनी ढांचे को देखेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। फैसला आने के फौरन बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने ट्वीट किया, ‘लोकतंत्र सबसे अच्छा बदला है।
सरकार के पास सही इरादे नहीं : न्यायमूर्ति
सरकार के लिए नई अभियोजन टीम 5 दिसंबर को विशेष अदालत में पेश हुई जिसके बाद विशेष अदालत ने 17 दिसंबर को फैसले की तारीख तय की। सुनवाई शुरू होते ही सरकारी वकीलों ने नई याचिकाएं पेश कीं। एक याचिका में पूर्व पीएम शौकत अजीज, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हमीद डोगर और पूर्व कानून मंत्री जाहिद हामिद को संदिग्ध बनाने को कहा। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति करीम ने कहा कि सरकार के पास सही इरादे नहीं हैं। मुशर्रफ के वकील रजा बशीर ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति को बचाव का अधिकार मिलना चाहिए, क्योंकि वे बुरी सेहत के कारण अदालत में पेश नहीं हो सकते हैं।
शरीफ सरकार ने चलाया मुकदमा
मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का यह मुकदमा तीन नवंबर 2007 को आपातकाल लगाने के विरोध में लगाया गया। पाक में नवाज शरीफ सरकार के 2013 में सत्ता में लौटने पर दिसंबर में उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला शुरू हुआ। इसके बाद 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ आरोपी करार दिए गए और उसी साल सितंबर में अभियोजन ने सारे साक्ष्य विशेष अदालत के सामने रखे। अपीलीय मंचों पर याचिकाओं के कारण पूर्व सैन्य शासक के मुकदमे में देरी हुई और वह शीर्ष अदालतों और गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद मार्च 2016 में पाकिस्तान से बाहर चले गए।
मुशर्रफ का उद्भव और विकास
- अक्तूबर 1999 में तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के विरुद्ध सैन्य विद्रोह कर सत्ता हाथ में ली।
- जून 2001 में सैन्य प्रमुख रहते हुए खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया।
- अप्रैल 2002 मेें विवादित जनमत संग्रह कराकर पांच साल के लिए फिर राष्ट्रपति बने।
- अक्तूबर 2007 में दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
- अगस्त 2008 में मुख्य सत्ताधारी पार्टियों के दबाव के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया।
सजा से बचने को हाईकोर्ट में पहले से याचिका
दुबई के अस्पताल में भर्ती परवेज मुशर्रफ को पहले से ऐसी सजा के आभास के चलते उन्होंने पिछले हफ्ते अपने वकीलों के जरिए लाहौर हाईकोर्ट में अपील दर्ज कराई। इसमें उन्होंने हाईकोर्ट से विशेष अदालत में चल रही सुनवाई को रुकवाने की मांग की। मुशर्रफ का कहना था कि उन्होंने हाईकोर्ट में पहले ही विशेष अदालत के गठन के खिलाफ याचिका दी है, जिसमें मुकदमे की मंशा पर सवाल उठाया है।
मुशर्रफ ने दी बीमारी की दलील
मुशर्रफ को पाक हाईकोर्ट और विशेष अदालत कई बार समन जारी कर चुके हैं, लेकिन वे हर बार दुबई से ही बीमारी का बहाना बनाकर देश लौटने से इनकार कर देते हैं। हाल ही में मुशर्रफ ने अस्पताल से एक वीडियो जारी किया। इसमें वे बिस्तर पर लेटे-लेटे कहते हैं, ‘देशद्रोह का केस बेबुनियाद है। गद्दारी छोड़िए, मैंने तो इस मुल्क की कई बार खिदमत की है। कई बार जंग लड़ी। 10 साल तक सेवा की। आज मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मेरे खिलाफ जांच के लिए कमीशन बनाया गया। बेशक बनाइए। लेकिन, इस कमीशन को यहां आकर मेरी तबियत देखें और बयान दर्ज करें। इसके बाद कोई कार्रवाई की जाए।
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