VSRP: No data availableखास बातें
- 25 हजार करोड़ रुपये के वैकल्पिक निवेश कोष पर सरकार का स्पष्टीकरण
- एक परियोजना को मिलेगी अधिकतम 400 करोड़ रुपये की फंडिंग
- कर्ज दोबारा शुरू करने घर खरीदारों को अपने-अपने बैंकों से संपर्क करने की सलाह
न्यूज़ डेस्क : अटकी आवासीय परियोजनाओं के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के कोष के एलान के बाद सरकार ने बृहस्पतिवार को घर खरीदारों को सलाह दी कि अब उन्हें अतिरिक्त उधारी या अपने कर्ज दोबारा शुरू करने के लिए बैंकों से संपर्क करना चाहिए। साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया कि ऊपरी अदालतों में मुकदमेबाजी में फंसी परियोजनाओं को इसके दायरे में शामिल नहीं किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि लगभग 4.58 लाख फ्लैट वाली 1,508 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अगर कोई कंपनी ‘विशेष विंडो’ या वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) से सहायता की मांग करती है तो किसी एक परियोजना को अधिकतम 400 करोड़ रुपये का वित्तपोषण किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय ने ‘बार-बार पूछे जाने वाले सवालों’ यानी एफएक्यू को जारी करते हुए कहा, ‘घर खरीदारों को अब मौजूदा कानूनी और नियामकीय ढांचे व कर्जदाता संस्थानों के बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों के तहत पूर्व में लिए गए होम लोन को शुरू करने या अतिरिक्त उधारी के लिए जरूरी दिशा-निर्देश के लिए अपने ऋणदाता या बैंक से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।’
एफएएक्यू में यह भी कहा गया कि प्रस्तावित एआईएफ ऐसी परियोजनाओं में निवेश नहीं करेगा जो ऊपरी अदालतों या सुप्रीम कोर्ट में मुकदमेबाजी में फंसी हुई हैं। इसमें कहा गया, ‘इस विशेष विंडो में ऐसी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिनका निर्माण वित्त की कमी से अटका हुआ है।’
इसके अलावा, ऐसी परियोजनाओं पर भी विचार किया जाएगा जो एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियां) हो चुकी हैं या एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। वित्त की उपलब्धता के बाद इन परियोजनाओं को शुरू किया जा सकता है।
सकारात्मक नेटवर्थ वाली परियोजनाओं को मिलेगा फायदा
इस फंड की बाजार नियामक सेबी के साथ श्रेणी-2 एआईएफ डेट फंड के तौर पर स्थापना की जाएगी और इसे व्यावसायिक रूप से चलाया जाएगा। निवेश प्रबंधक के रूप में एसबीआईकैप वेंचर्स लिमिटेड इसके साथ जुड़ेगी।
एफएक्यू में कहा गया कि यह फंडिंग रेरा में पंजीकृत उन किफायती और मध्यम आय वर्ग की आवासीय परियोजनाओं को उपलब्ध कराई जाएगी, जो फंड की कमी से अटकी हैं, लेकिन उनकी नेटवर्थ सकारात्मक (एनपीए सहित और परियोजना एनसीएलटी की प्रक्रिया से गुजर रही है) बनी हुई है। साथ ही उन परियोजनाओं को फंडिंग में प्राथमिकता दी जाएगी, जो ‘पूरा होने के काफी करीब हैं।’
किफायदी श्रेणी की हों परियोजना
किफायती और मध्यम आय वर्ग में ऐसी परियोजनाएं आती हैं, जिनमें इकाइयों का कारपेट एरिया 200 वर्ग मीटर से ज्यादा न हो और मुंबई महानगरीय क्षेत्र में कीमत 2 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, चेन्नई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बंगलूरू और अहमदाबाद में 1.5 करोड़ रुपये और देश के बाकी क्षेत्रों 1 करोड़ रुपये से ज्यादा न हो।
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