वित्तीय समावेशन के अनुकूल माहौल बनाने के शीर्ष मे भारत, मिले पूरे अंक

न्यूज़ डेस्क : भारत में वित्तीय समावेशन को लेकर माहौल में सुधार हो रहा है। इसका खुलासा एक रिपोर्ट में हुआ है। बृहस्पतिवार को जारी ‘द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट-2019 ग्लोबल माइक्रोस्कोप ऑन फाइनेंशियल इंक्लूजन’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत वित्तीय समावेशन के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। 

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अपने गैर-बैंकिंग क्षेत्र को ई-मनी जारी करने की अनुमति दी है और अनुपातिक उपभोक्ता जांच व प्रभावी उपभोक्ता संरक्षण का माहौल दिया है। इसमें आगे कहा गया है कि दुनियाभर में वित्तीय समावेशन को लेकर माहौल में सुधार देखने को मिली है। इस दृष्टि से भारत, कोलंबिया, पेरू, उरुग्वे और मैक्सिको ने वित्तीय समावेशन के लिए सबसे अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया है। 

चार मानदंडों पर आकलन

रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करने के लिए चार मूल चीजों की जरूरत हैं। ये चार चीजें हैं… गैर-बैंकिंग क्षेत्र को ई-मनी जारी करने की अनुमति, वित्तीय सेवा एजेंटों की मौजूदगी, अनुपातिक आधार पर ग्राहकों की जांच-परख और प्रभावी उपभोक्ता संरक्षण। इन चारों मानदंडों पर सिर्फ चार देशों को पूरे अंक मिले हैं। इन देशों में भारत, कोलंबिया, जमैका और उरुग्वे शामिल हैं। वहीं, सिर्फ दक्षिण अफ्रीका, भारत, मैक्सिको, तंजानिया और उरुग्वे ई-मनी को जमा बीमा या संरक्षण के जरिए रक्षा संबंधी उपाय उपलब्ध कराते हैं। 

संरक्षण से नए ग्राहकों को नुकसान नहीं

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस प्रकार के संरक्षण से नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वालों को सुरक्षा मिलती है। साथ ही विभिन्न प्रकार के संस्थानों के बीच नियामकीय असंतुलन पैदा नहीं होता है। इसके अलावा, डिजिटल वित्तीय समावेशन से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि वित्तीय प्रणाली में नए ग्राहकों को परंपरागत संस्थानों के साथ लेनदेन करने की तुलना में नुकसान नहीं होता। इसके अतिरिक्त इन देशों को अपने एजेंटों के कार्यों के लिए उत्तरदायित्व बनाए रखने और एजेंटों की सुरक्षा के लिए वित्तीय संस्थानों की जरूरत होती है।  

आरबीआई ने तैयार किया है मसौदा

भारत के संदर्भ में कहा गया है कि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) ने देशभर में वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने के लिए वित्तीय समावेशन से संबंधित एक राष्ट्रीय रणनीति मसौदा तैयार किया है। लंबे समय से प्रतीक्षित इस रणनीति को 2019 में अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। यह मसौदा पांच साल की अवधि के लिए है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने डिजिटलीकरण की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को मध्यम अवधि की रणनीति तैयार करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति भी गठित की है। 

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