विज्ञापन संबंधी नीति को लेकर फेसबुक के सैकड़ों कर्मचारियों ने जुकरबर्ग को उनके खिलाफ पत्र लिख जताई असहमति
न्यूज़ डेस्क : फेसबुक कर्मी सियासी विज्ञापन संबंधी नीति को लेकर सीईओ मार्क जुकरबर्ग से सहमत नहीं हैं। फेसबुक के सैकड़ों कर्मचारियों ने दुनिया की इस दिग्गज सोशल नेटवर्किंग कंपनी के सीईओ जुकरबर्ग और अन्य शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर सियासी नेताओं को अपने पोस्ट में मनचाहे दावे करने की छूट देने के नए फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने फेसबुक के शीर्ष नेतृत्व से अपने रुख पर पुनर्विचार का आग्रह किया है।
कंपनी के लिए बताया खतरनाक : न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार को मिले पत्र में कर्मचारियों ने कहा है, ‘सियासी विज्ञापनों पर फेसबुक का नया रुख इस कंपनी के दृष्टिकोण के लिए खतरा है। हम इस नीति का सख्ती के साथ विरोध करते हैं।’ यह पत्र पिछले दो हफ्ते से कंपनी के एक साफ्टवेयर प्रोग्राम पर दिखाई दे रहा है। यह प्रोग्राम फेसबुक के सिलिकॉन वैली स्थित दफ्तर में आंतरिक संचार के लिए इस्तेमाल होता है।
250 सेे ज्यादा कर्मचारियों ने किए हस्ताक्षर : इस पर फेसबुक के ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारियों के हस्ताक्षर हैं। यह संख्या हालांकि फेसबुक के 35 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के लिहाज से काफी कम है। लेकिन यह दर्शाता है कि अपने सियासी विज्ञापनों को लेकर इस कंपनी को आतंरिक रूप से किस तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
‘सियासी भाषण पर रोक नहीं लगाने के लिए प्रतिबद्ध’: फेसबुक की प्रवक्ता बर्टी थॉमसन ने कहा, ‘कंपनी की संस्कृति खुलेपन पर आधारित है। इसलिए हम इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने कर्मचारियों के विचारों की सराहना करते हैं। हम सियासी भाषणों पर रोक नहीं लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम सियासी विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए अतिरिक्त कदमों की तलाश करना जारी रखेंगे।’
इस घोषणा का हो रहा विरोध : फेसबुक ने पिछले माह यह घोषणा की थी कि नेताओं और उनके अभियान से जुड़े पोस्ट तकरीबन नियंत्रण मुक्त रहेंगे। जबकि इस कंपनी का पहले इससे उलट रुख था। फेसबुक ने पहले भुगतान वाले सियासी विज्ञापनों पर रोक लगा रखी थी।
ट्रंप के विज्ञापन को हटाने से किया इन्कार : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए पिछले माह फेसबुक पर एक विज्ञापन चलवाया था। इसमें विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवारी पाने की होड़ में सबसे आगे माने जा रहे पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन के बारे में झूठा दावा किया गया था। बिडेन ने इस विज्ञापन को हटाने की मांग की थी, लेकिन फेसबुक ने मना कर दिया था। फेसबुक ने दलील दी थी कि नेताओं के विज्ञापन समाचार योग्य हैं और चर्चा के लिए जरूरी हैं।
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