न्यूज़ डेस्क : अपने जनांदोलन से यूपीए सरकार की चूलें हिला देने वाले अन्ना हजारे एक बार फिर मैदान में हैं। उनका कहना है कि अभी भी देश में लोकतंत्र सही तरीके से नहीं आया है। केवल गोरे अंग्रेजों की जगह पर काले अंग्रेज शाासन करने लगे हैं। देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए चुनाव प्रणाली से दल पर आधारित राजनीति को खत्म करना होगा। इसकी बजाय चुनाव में लोग केवल व्यक्ति को वोट दें। ऐसी स्थिति में केवल अच्छे लोग ही चुनकर आएंगे और वे देश का विकास करेंगे।
लगभग 82 वर्ष के हो चुके किसान बाबूराव हजारे (अन्ना हजारे) ने रविवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पहल पर चुनाव आयोग को कई चुनाव सुधार के फैसले लागू करने पड़े थे। इस बार उनका जोर ईवीएम मशीनों से चुनाव चिंह्न को हटवाना है। इससे लोग किसी विचारधारा को वोट देने की बजाय एक व्यक्ति को वोट देंगे। ऐसे में लोग केवल अच्छे लोगों को ही वोट देंगे। अभी विचारधारा के नाम पर लोग कई बार गलत आदमी को भी वोट दे देते हैं।
उऩ्होंने कहा कि संविधान में व्यक्ति के चुनाव लड़ने के लिए योग्यताएं निर्धारित की गई हैं, जबकि कहीं भी किसी समूह को चुनाव लड़ने के लिए नहीं कहा गया है। ऐसे में दल आधारित चुनाव प्रणाली संविधान सम्मत नहीं है और देशहित में इसे तत्काल खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति के कारण समाज में वैमनस्य पैदा हो गया है। एक वर्ग को किसी दूसरे वर्ग के विरोध में खड़ा कर दिया गया है।
यह सब केवल इसलिए जिससे दल के नाम पर राजनीति कर रहे कुछ लोगों का फायदा होता रहे। इस पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए। वर्ष 1992 में पद्मभूषण सम्मान से नवाजे जा चुके अन्ना हजारे ने कहा कि उनकी लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है। वे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए अपने जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ते रहेंगे। उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनावों में भी केवल अच्छे उम्मीदवारों को ही वोट देने की अपील की।
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