बच्चों को अवसाद से बचाने के लिए रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ें पालक

बच्चों को अवसाद से बचाने के लिए रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ें पालक पी.आर.एस.आई.  की परिचर्चा में वक्ताओं ने दिए सुझाव 

इंदौर,  स्कूली बच्चों में बढ़ता अवसाद और हिंसक प्रवृत्ति का मुख्य कारण वीडियो गेम है. वीडियो गेम के कारण भारत सहित विश्व के कुछ देशों में अनेकों बच्चों ने खुदकुशी तक कर ली है. यदि पालक बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें और उन्हें रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ते हुए उनके साथ सतत संवाद करते रहें तो इस तरह की अप्रिय घटनाओं से बचा जा सकता है.  पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया ( पी.आर.एस.आई)  द्वारा क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय, इंदौर के सहयोग से वीडियो गेम की जानलेवा लत और निदान विषय पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने उक्त विचार व्यक्त करते हुऐ  सुझाव दिये कि बच्चों को इंटरनेट और मोबाईल पर उनकी मौजूदगी में ही उपयोग करने दिया जाये. बच्चों की गतिविधियों और उनके व्यवहार में हो रहे परिवर्तनों पर ध्यान दें तथा यदि कुछ  अस्वाभाविक नजर आये तो उन्हें डाटें नहीं बल्कि विश्वास में लेकर सलाह और परामर्श से बच्चे को अंधेरी दुनिया में जाने से बचाया जा सकता है.

सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ श्री पुष्पेंद्र सिंह जादोन  ने बताया कि “हाल ही में ब्लू व्हेल गेम के कारण इंदौर, मुंबई आदि स्थानों पर कुछ बच्चों ने  आत्महत्या कर ली. यह वीडियो गेम दरअसल इंटरनेट पर संदेशों के माध्यम बच्चों को आपस में चुनौती देने का खेल है जिसमें 50 चरण होते हैं जिसमें अंतिम चरण में आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिये उसकाया जाता है”.

उन्होंने कहा कि यदि माता-पिता अपने बालक की गतिविधियों पर ध्यान दें कि वह इंटरनेट पर क्या कर रहा है? इंटरनेट की हिस्ट्री देखें तो समय रहते बच्चों को ऐसे कदम उठाने से रोका जा सकता है. उन्होंने सुझाव किया कि माता पिता अपने बच्चों को उनकी निगरानी में ही मोबाइल इंटरनेट आदि का उपयोग करने दें तो बेहतर रहेगा.

पत्रकारिता से जुड़े श्री आलोक वाणी ने कहा कि वर्तमान समय में इंटरनेट के जरिए आने वाले ऐसे वीडियो गेम पर सीधे तौर पर रोक तो लगाई जा सकती है लेकिन प्रौद्योगिकी के जरिए उन तक पहुंच बनाना कोई दुश्कर नहीं है.

उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों और प्रसारण माध्यमों के जरिए ऐसे खेलों के दुष्परिणामों के साथ बचाव की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक होकर ऐसे हिंसक खेलों को ही स्वत: आत्महत्या करने पर मजबूर कर सकते हैं. परिचर्चा में भाग लेते हुये पत्रकारिता के प्राध्यापक डॉक्टर राजू सी. जॉन ने कहा कि माता पिता को अपने बच्चों के साथ सतत संवाद बना कर रखना चाहिये. उनके साथ मित्रवत व्यवहार करते हुये रचनात्मक गतिविधियों में भागीदारी करें तो बच्चों का ध्यान इस तरह के खेलों की ओर नहीं जायेगा. पी.आर.एस.आई, इंदौर चैप्टर के अध्यक्ष मधुकर पवार ने परिचर्चा का संचालन किया तथा सचिव शिशिर सोमानी ने आभार माना.

 

 

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