सरकारी नौकरियों में दिया जाए महिलाओं को 20 फीसद आरक्षण, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

न्यूज़ डेस्क :इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के नियम पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने कहा कि सामान्य और आरक्षित वर्ग की सीटों पर यदि मेरिट में महिला सफल घोषित होती है तो उसे अपनी श्रेणी के 20 फीसदी कोटे में ही गिना जाएगा।

 

जिस श्रेणी में कोटा पूरा नहीं होगा, उसमें उस कोटे की सफल महिला को ही स्थान मिलेगा। उस श्रेणी से महिला को चयनित करने के लिए नीचे से चयनित पुरुष बाहर हो जाएगा। चयनित महिला अपनी श्रेणी में ही रहेगी। एक वर्ग की चयनित महिला कोटा पूरा करने के लिए दूसरे वर्ग में नहीं जा सकेगी। चयनित महिला सामान्य या आरक्षित वर्ग में अपनी श्रेणी में ही जा सकेगी।

 

यह फैसला न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल, न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पूर्णपीठ ने अजय कुमार की याचिका पर दो पीठों के निर्णयों में मतभिन्नता से उठे विधिक सवालों पर विचार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनिल तिवारी ने बहस की। कोर्ट ने क्षैतिज आरक्षण को लागू करने में आ रही दिक्कतों को दूर कर दिया है, ताकि भविष्य में महिला आरक्षण लागू करने में कोई कठिनाई न आए। इससे पूर्व महिलाओं को अपनी श्रेणी में आनुपातिक प्रतिनिधित्व देने में काफी दिक्कतें आ रही थी, इसे लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल होती थी। फैसले से यह दिक्कतें दूर हो जाएंगी।

कोर्ट ने कहा है कि घोषित रिक्तियों का 20 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित होगा और यह सामान्य तथा आरक्षित वर्ग में समान रूप से लागू होगा। महिला मेरिट में चयनित होने के बावजूद अपनी श्रेणी के कोटे में गिनी जाएगी। एक वर्ग की चयनित महिला दूसरे वर्ग में नहीं जा सकेगी। कोर्ट ने विधि प्रश्न तय करते हुए याचिका नियमित पीठ के समक्ष भेज दी है और आदेश की प्रति मुख्य सचिव को अनुपालनार्थ भेजे जाने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि महिला एक विशेष वर्ग है। यह एक अलग सामाजिक श्रेणी है। यह दो स्तर पर होगी। पहली मेरिट लिस्ट में चयनित महिला को अपने वर्ग में शामिल किया जाएगा। जिस वर्ग में कोटे की सीट भरी नहीं होगी, उस श्रेणी की महिला का चयन किया जाएगा और वह अंतिम चयनित पुरुष का स्थान ले लेगी। यदि सामान्य वर्ग में 20 फीसदी महिला मेरिट में चयनित हैं तो उसमें कोटा लागू करने की जरूरत नहीं होगी। एससी-एसटी या ओबीसी में जिस कोटे की महिला सीट खाली होगी, उस वर्ग की महिला का चयन किया जाएगा। इस प्रकार से कुल विज्ञापित सीटों का 20 फीसदी महिला आरक्षण द्वारा पूरा किया जाएगा।

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