न्यूज़ डेस्क : ताहिर राज भसीन को एक ऐसे अभिनेता के रूप में जाना जाता है, जो हर बार अपने कैरेक्टर को पी जाते हैं। अपनी अगली फिल्म- कबीर खान की 83 में ताहिर महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर की भूमिका निभाने के लिए कमर कस चुके हैं, जो कपिल देव की कप्तानी वाली 1983 की विश्वकप विजेता टीम के प्रमुख सदस्य थे। क्रिकेट के मैदान में कभी पैर न रखने वाले ताहिर ने जाहिर तौर पर कबीर खान को अपने अभिनय कौशल के दम पर कायल बना दिया है। हालांकि इस वर्सेटाइल एक्टर ने अपने क्रिकेट कौशल को परफेक्ट बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है।
इस एक्टर से जुड़े एक करीबी सूत्र का कहना है, “जिस दिन से कबीर ने ताहिर को सूचित किया कि वह प्रतिभाशाली 83 की टीम के एक सदस्य हैं, वह अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए हर हाल में अतिरिक्त समय निकाल रहे हैं। ताहिर को पता है कि कभी क्रिकेट न खेलने के बावजूद उन्हें स्क्रीन पर बेहद भरोसेमंद तरीके से खेलते हुए दिखना पड़ेगा। वह क्रिकेट के लीजेंड कहे जाने वाले सुनील गावस्कर की भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में ऑथेंटिक न दिखना वह एफोर्ड नहीं कर सकते। गावस्कर का अपना खुद का फ्लेवर था, अपना स्वैग था और क्रिकेट फील्ड को वह पूरे जोशखरोश के साथ डॉमिनेट किया करते थे। ताहिर ने इस रिस्पॉन्सिबिलिटी को रियलाइज किया और तभी से नेट्स पर पसीना बहा रहे हैं।”
सूत्र ने आगे बताया, “ताहिर ने हफ्ते में 5 दिन दो-दो घंटे नेट प्रैक्टिस करने के लिए अपने कैलेण्डर में जगह बनाई है। उन्होंने यह प्रैक्टिस लगभग 3 महीने तक जारी रखी और फिल्म की टीम द्वारा एक्टर की सभी तैयारियां शुरू करने से पहले उन्होंने एक पर्सनल कोच भी रखा था। खुद को सौंपे गए रोल के साथ पूरा न्याय करने को लेकर वह गहरी जिम्मेदारी महसूस कर रहे हैं।”
काँटेक्ट करने पर ताहिर ने यह कहते हुए सभी बातों को कन्फर्म किया, “स्क्रीन पर सुनील गावस्कर की भूमिका निभाना वाकई बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और निश्चित रूप से सबको यह कन्विंस करके कि वे स्क्रीन पर एक लीजेंड को देख रहे हैं न कि मुझको, मैं यह टेस्ट पास करना चाहता हूं। इसे एचीव करने के लिए मेरी ऑन फील्ड प्रैक्टिस बेहतर क्रिकेट खेलने से कहीं आगे; गावस्कर की स्टाइल में स्पेसिफिक शॉट्स लगाने को टार्गेट बना कर डिजाइन की गई है। नेट्स पर बिताया गया मेरा समय कैरेक्टर के लिए फिजिकल कोरियोग्राफी की तरह ट्रीट किया जा रहा है। कबीर खान के विजन को हम सबके द्वारा क्रिकेट मैदान की बारीकियां जीवंत करने की जरूरत है, ताकि यह दिखाया जा सके कि अंडरडॉग समझी जाने वाली इंडियन क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड में 1983 का विश्व कप किस चमत्कारिक अंदाज में जीता था… और इसके लिए मैं इसे अपना 200% देने का इरादा रखता हूं।“
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