जल संकट : महाराष्ट्र के इस गांव मे एक छोटे गढ़े से 1600 लोग पानी पीने को मजबूर

न्यूज़ डेस्क : जैसे-जैसे मौसम का तापमान उपर जा रहा है, पानी का स्तर उतना ही नीचे गिर रहा है, और साथ ही लोगों की परेशानियां भी बढ़ रही हैं। एक तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में ग्लेशियर धूप की गर्मी से लगातार पिघल रहे हैं, तो दूसरी तरफ देश के कुछ हिस्सों में पारा अपनी सीमा पार कर रहा है। 47-48 डिग्री जैसी खड़ी गर्मी में लोग बेहाल हैं। जन-जीवन के साथ-साथ प्रकृति भी गर्मी के इस प्रचंड रूप को देख कर झुलस गई है। 

 

 

कहीं आग की लपटों में जंगल धधक रहे हैं, तो कहीं लोगों को पसीना बहाकर पानी खोजना पड़ रहा है। ऐसी ही समस्याओं से जूझते महाराष्ट्र के एक इलाके की कहानी आपके दिल को कचोट कर रख देगी। वैसे तो महाराष्ट्र में आम दिनों में भी गर्मी रहती है, लेकिन अभी की स्थिति यह है कि लोग पीने का पानी खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। महाराष्ट्र के अकोला में कवाथा  है, जहां के लोगों के लिए पानी का एकमात्र सहारा एक छोटा सा गड्ढा है। इस गांव के लोग इसी गड्ढे से पानी भरकर किसी तरह अपना काम चलाते हैं।

 


यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक छोटा सा यह गड्ढा हर रोज लगभग 1600 लोगों की प्यास बुझाता है। यहां के लोग बताते हैं कि उनके पास इस गड्ढे के अलावा पानी का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। कवाथा गांव के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि पानी निकालने के लिए उन्हें अपने स्कूल कॉलेज के समय को एडजस्ट करना पड़ता है। इससे उनकी पढ़ाई लिखाई और बाकी कामों पर भी असर पड़ रहा है। 

गड्ढा इतना छोटा है कि उसमें एक बार में एक ही हाथ अंदर जा पाता है, और उससे करीब एक लोटा पानी निकलता है। इसी तरह बूंद-बूंद कर लोग अपने बड़े बड़े बर्तनों या बाल्टियों में पानी भर कर ले जाते हैं। एक कंटेनर को भरने में कई घंटे लग जाते हैं। ऐसे में लोगों के दिन भर का बड़ा हिस्सा इसी तरह पानी का जुगाड़ करने में बीत जाता है। 

इतने बड़े संकट के समय में मौसम विभाग की तरफ से भी कोई अच्छी सूचना नहीं मिल रही है। बल्कि विभाग के अनुसार इस बार मॉनसून के आने में और देरी होने की संभावना है। विभाग का कहना है कि सामान्य रूप से मॉनसून 29 जून तक दिल्ली पहुंचता है। चूंकि इसके दक्षिणी भाग में पहुंचने में देरी हो रही है, इसलिए मॉनसून के उत्तरपश्चिम भारत तक पहुंचने में दो तीन दिन ज्यादा लग सकते हैं। 

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