न्यूज़ डेस्क : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कार्यभार संभालने के बाद से ही ‘मिशन कश्मीर’ मोड में नजर आ रहे हैं। मंगलवार सुबह शुरू हुआ शाह की बैठकों का सिलसिला लंबा चला। इनमें जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की तैयारियों से लेकर अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर लंबी चर्चाएं हुई। बैठक के बाद उन्होंने प्रदेश राज्यपाल सतपाल मलिक से फोन पर बात की। बताया जा रहा है कि बैठक में शाह ने गृह सचिव राजीव गौबा और कश्मीर मामलों के अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार के साथ परिसीमन आयोग के गठन संबंधी फैसले लिए।
अधिकारियों ने कहा कि हालांकि बैठक में परिसीमन आयोग गठित करने पर कोई चर्चा नहीं हुई। प्रदेश भाजपा द्वारा परिसीमन की मांग के बीच, अधिकारियों ने कहा कि केन्द्र की नई सरकार विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन और अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या तय करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है।
जम्मू कश्मीर को अन्य राज्यों के बराबर ले जाते हुए, 2002 में तत्कालीन फारूक अब्दुल्ला सरकार ने राज्य संविधान में संशोधन करते हुए 2026 तक परिसीमन आयोग पर रोक लगाई थी। उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को ट्वीट किया कि परिसीमन पर रोक 2026 तक पूरे देश में लागू है और इसके विपरीत कुछ गलत जानकारी वाले टीवी चैनल इस पर भ्रम पैदा कर रहे हैं, यह केवल जम्मू कश्मीर के संबंध में रोक नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में परिसीमन करना चाहती है और इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। सरकार जम्मू में प्रतिनिधित्व की असमानता दूर करने के लिए इस दिशा में शीघ्र कदम बढ़ना चाहती है। इस मसले पर गृह मंत्रालय और राज्यपाल एक-दूसरे के संपर्क में हैं। पिछले हफ्ते शनिवार को प्रदेश के राज्यपाल राज्यपाल मलिक ने शाह को कानून व्यवस्था और जमीनी हालात की जानकारी दी थी।
केंद्र की जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की सुगबुगाहट के बाद से ही राज्य के राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी तेज हो गयी है। जहां एक तरफ कांग्रेस ने इस परिसीमन का सपोर्ट किया है वहीं नेकां के उप प्रधान उमर अब्दुल्ला ने इसका कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो वह इसका कड़ा विरोध करेंगे।
Comments are closed.