भारतीय महिलाएं निवेश पर, स्वतंत्र निर्णय लेने अभी भी पीछे :डीएसपी विनवेस्टर पल्स

  • 64% पुरुषों की तुलना में केवल 33% महिलाएं ही निवेश के संदर्भ में स्वतंत्र निर्णय लेती हैं
  • पिता (27%) की तुलना में पतियों (40%) ने महिलाओं को निवेश की शुरुआत में सहायता की
  • पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अपने बच्चों से जुड़े लक्ष्यों की ओर झुकाव अधिक है
  • अधिकांश उत्तरदाताओं ने माना कि बच्चों को 20 वर्ष की उम्र से पहले ही निवेश के बारे में सिखाया जाना चाहिए
  • नील्सन के सहयोग से 8 शहरों में 4000 से अधिक प्रतिभागियों के बीच सर्वेक्षण किया गया

 

मुंबई,  जून 2019: डीएसपी म्यूचुअल फंड ने शोध करने वाली एजेंसी, नीलसन के साथ मिलकर डीएसपी विनवेस्टर पल्स 2019 सर्वेक्षण के निष्कर्षों को सार्वजनिक किया, जिसमें निवेश  के रवैये तथा निवेश और उत्तराधिकार में उनकी भागीदारी को उजागर किया गया। सर्वेक्षण में 8 शहरों के 4,013 महिलाओं और पुरुषों को शामिल किया गया, ताकि उनके लक्ष्यों एवं धन के संदर्भ में उनके विचारों को समझा जा सके।

 

इस सर्वेक्षण में 4 महानगरों:मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बैंगलोर, तथा 4 गैर-महानगरों: इंदौर, कोच्चि, लुधियाना एवं गुवाहाटी को शामिल किया गया। इस अध्ययन में 25 से 60 वर्ष की आयु के 1853 पुरुषों और 2160 महिलाओं की प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया, जो निवेश संबंधी निर्णय लेने में शामिल रहे हैं। जनवरी से फरवरी 2019 के दौरान इस सर्वेक्षण के लिए ज़मीनी स्तर पर काम किया गया। प्रतिभागियों में ऐसे लोग शामिल हैं जो वर्तमान में काम कर रहे हैं या अतीत में कम-से-कम 2 साल तक काम कर चुके हैं, साथ ही इसमें अविवाहित, बिना बच्चों वाले शादीशुदा लोगों तथा बाल-बच्चेदार लोगों को भी शामिल किया गया।

 

अध्ययन में पाया गया कि, 64% पुरुषों की तुलना में केवल 33% महिलाएं निवेश के संदर्भ में स्वतंत्र निर्णय लेती हैं। अपने निवेश के निर्णय स्वयं लेने वाली महिलाएं मुख्यतः अपने पति (33%) या अपने माता-पिता (24%) के प्रोत्साहन के कारण ऐसा करती हैं। 13% महिलाओं ने बताया कि अपने पति की मृत्यु या तलाक के कारण उन्हें निवेश के संदर्भ में स्वयं निर्णय लेने के लिए विवश होना पड़ा। केवल 30% महिलाओं ने बताया कि उन्होंने निवेश से संबंधित निर्णय अपनी इच्छा के अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए थे। सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि महिलाओं के पति (40%) उनके पिता (27%) की तुलना में उन्हें निवेश की शुरुआत हेतु प्रेरित करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। दूसरी ओर, 40% पुरुषों को उनके पिता द्वारा तथा 35% पुरुषों को उनके सहयोगियों द्वारा निवेश की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

 

अध्ययन में पाया गया कि, पुरुषों और महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्ष्य एक समान हैं: जिसमें बच्चों की शिक्षा, सपनों का घर, बच्चों की शादी, कर्ज मुक्त जीवन तथा उच्च जीवन स्तर शामिल है। पुरुषों की तुलना में बच्चों से जुड़े लक्ष्यों की ओर महिलाओं का झुकाव थोड़ा अधिक होता है (उनके सर्वाधिक महत्वपूर्ण 3 लक्ष्यों में से 2 के तौर पर बच्चों की शिक्षा और बच्चों की शादी शामिल है: यह पुरुषों के लिए क्रमशः 31% और 26% की तुलना में महिलाओं के लिए 34% और 29% है)। महिलाओं की तुलना में पुरुष अपने

 

उद्यम की शुरुआत करने तथा सेवानिवृत्ति की योजना बनाने के लक्ष्य को अधिक महत्व देते हैं यह पुरुषों के लिए क्रमशः 26% और 23% की तुलना में महिलाओं के लिए 23% और 20% है)। एक आश्चर्यजनक तथ्य भी सामने आया कि, अविवाहित होते हुए भी महिलाएं अपने होने वाले के बच्चों के लक्ष्यों के लिए योजना बनाने पर विचार करती हैं (22% और 23% अविवाहित महिलाओं ने अपने बच्चे की शिक्षा और उसके विवाह की योजना बनाई थी। ये आंकड़े अविवाहित पुरुषों के लिए क्रमशः 16% और 12% थे)।

 

अध्ययन में पाया गया कि निवेश करने अथवा कार या घर खरीदने के संबंध में निर्णय लेने की बात आने पर पुरुष हावी हो जाते हैं। दूसरी ओर, सोने / आभूषणों की ख़रीद, रोज़मर्रा के घरेलू सामान तथा उपभोक्ता वस्तुओं की ख़रीद में महिलाओं की बड़ी भूमिका होती है। इस खंड के महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक यह है कि, 31% पुरुषों की तुलना में केवल 12% महिलाओं ने बताया कि बाजार आधारित इंस्ट्रूमेंट्स (स्टॉक, इक्विटी म्यूच्यूअल फंड, आदि) में निवेश का निर्णय उन्होंने स्वयं लिया- जो पुरुषों के मुकाबले 2.6 गुना कम है! दूसरी ओर, 17% पुरुषों की तुलना में 28% महिलाओं ने कहा कि सोने / आभूषणों की ख़रीद का निर्णय उन्होंने स्वयं लिया था।

 

इस बात को ध्यान में रखना दिलचस्प है कि, बड़ी संख्या में महिलाओं ने दावा किया कि उनकी मानसिकता निवेश को पहला स्थान देने की है। 39% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने पहले निवेश की योजना बनाई और बाद में उसके अनुसार मासिक खर्चों को समायोजित किया (33% पुरुषों की तुलना में)। अधिकांश पुरुषों एवं महिलाओं के लिए धन शब्द के साथ संबद्धता में समानता थी: जिसमें अपने सपनों को पूरा करना, बेहतर जीवन, आवश्यकताओं की पूर्ति, सफलता और बेहतर स्वास्थ्य शामिल है। हालांकि, धन शब्द के साथ एक अनोखी संबद्धता भी उभर कर सामने आई, जिसमें शादीशुदा परंतु बिना बच्चों वाली कामकाजी महिलाओं के एक बड़े हिस्से ने ‘धन’ को ’शक्ति’ के साथ संबद्ध किया।

 

निवेश से संबंधित निर्णय लेने में किसी से सलाह लेने वाले लोगों की बात की जाए, तो केवल 42% महिलाओं ने एक पेशेवर वित्तीय सलाहकार से परामर्श किया (तुलनात्मक रूप से पुरुषों के लिए यह आंकड़ा 46% था)। अधिकांश पुरुषों (42%) और महिलाओं (50%) ने बताया कि, वित्तीय सलाहकारों के परामर्श लेने के बारे में विचार करते समय हुए लैंगिक दृष्टि से तटस्थ थे, जबकि पुरुषों (55%) और महिलाओं (31%), दोनों ने इस संदर्भ में पुरुष सलाहकारों से परामर्श लेने को इसके बाद प्राथमिकता दी। महिला वित्तीय सलाहकारों की बात की बात की जाए, तो पुरुषों की तुलना में 6 गुना अधिक महिलाओं ने उन्हें पसंद किया (19% महिला बनाम 3% पुरुष)।

 

निष्कर्ष से एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हुआ कि, एक वित्तीय सलाहकार का चयन करते समय उसकी योग्यता / शैक्षणिक स्तर को सबसेअधिकप्राथमिकतादीगई (महिलाओं के लिए 47%, पुरुषों के लिए 50%)।

सर्वेक्षण में पैसे से संबंधित ज़िम्मेदारियों और धनसम्पत्ति से संबंधित दृष्टिकोण का भी अध्ययन किया गया। अधिकांश महिलाओं एवं पुरुषों (> 55%) ने बताया कि वे हमेशा अपने बच्चों (चाहे वह बेटा हो या बेटी) के प्रति ज़िम्मेदार होंगे, जबकि ज़्यादा लोगों ने बताया कि वे हमेशा अपनी बेटी (51%) की तुलना में अपने बेटे (58%) के प्रति ज़िम्मेदार होंगे। असाधारण रूप से, सभी उत्तरदाताओं में से लगभग आधे (48%) ने कहा कि, वे अपने बेटे और बेटी को निवेश के बारे में अलगअलग तरीके से सलाह देंगे। वास्तव में, 38% उत्तरदाताओं ने बताया कि उनकी अपनी निवेश रणनीति उनके बच्चे के लिंग के आधार पर भिन्नभिन्न होगी।

 

 

 

इस अध्ययन का एक उत्साहजनक अवलोकन यह था कि, 65% उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्होंने 25 साल की उम्र से पहले ही निवेश करना शुरू कर दिया था। बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं (76%) ने बताया कि 25 साल की उम्र से पहले निवेश की शुरुआत करना आदर्श है। जहां तक उनके बच्चों का संबंध था, ज्यादातर उत्तरदाताओं का मानना था कि बच्चों को कम उम्र में हीअर्थात कॉलेज के दिनों में अथवा जब नौकरी की शुरुआत के तुरंत बाद निवेश के फैसले लेने शुरू कर देने चाहिए। वास्तव में, 65% उत्तरदाताओं ने माना कि बच्चों को 20 साल की उम्र से पहले ही निवेश के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।

उत्तराधिकार की बात की जाए, तो सभी उत्तरदाताओं में से 45% ने कहा कि उन्हें अपने मातापिता से धन, संपत्ति या किसी अन्य प्रकार की विरासत नहीं प्राप्त हुई है। हालांकि, बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं (76%) ने कहा कि वे अपनी धन / संपत्ति अपने बच्चों को हस्तांतरित कर देंगे। दिलचस्प बात यह सामने आई कि, 16% उत्तरदाताओं ने अपनी पूरी संपत्ति को केवल दान में देने की योजना बनाई थी। अध्ययन से यह भी पता चला कि 45% मातापिता ने अपने जीवनकाल में बच्चों को अपनी धन / संपत्ति को हस्तांतरित करने की योजना नहीं बनाई थी (केवल 53% ने कहा कि वे अपने जीवनकाल में ऐसा करेंगे) 66% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपने बच्चों को अपनी धन / संपत्ति तभी हस्तांतरित करेंगे जब बच्चों की आयु 40 वर्ष की हो जाएगी!

65% से अधिक उत्तरदाताओं ने अपनी विरासत को अपने बेटों और बेटियों के बीच समान रूप से विभाजित करने की इच्छा जताई (67% महिलाओं एवं 68% पुरुषों ने ऐसा कहा) अपनी विरासत को अपने बेटों और बेटियों के बीच समान रूप से विभाजित नहीं करने की इच्छा रखने वाले लोगों ने निश्चित रूप से बेटियों (24%) की तुलना में बेटों (45%) को अधिक प्राथमिकता दी थी। दिलचस्प बात यह है कि, माताओं ने बेटियों (18%) की तुलना में बेटों (22%) के प्रति अधिक लगाव दिखाया, जबकि पिताओं ने बेटों (12%) की तुलना में बेटियों (14%) के प्रति अधिक लगाव दिखाया।

अध्ययन के निष्कर्षों से एक आश्चर्यजनक बात सामने आई कि, वास्तव में अधिकांश मातापिता ने अपनी बेटी की शादी के बाद, अपनी बेटी को शादी के साजोसामान के प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित नहीं करने की बात कही। शादी के साजोसामान के प्रबंधन की अपेक्षा या तो बेटी के पति (27%) से की गई या फिर मातापिता द्वारा स्वयं (34%) ऐसा किए जाने की बात कही गई।

डीएसपी म्युचुअल फंड की विनवेस्टर पहल के एक हिस्से के रूप में डीएसपी विनवेस्टर पल्स 2019 का आयोजन किया गया था। डीएसपी की यह पहल महिलाओं को उनके निवेश निर्णयों की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करने तथा उनमें आत्मविश्वास जगाने के लिए आरंभ किया गया एक कार्यक्रम है, ताकि उन्हें अपने वित्त को नियंत्रित करने के लिए किसी और पर निर्भर नहीं होना पड़े। डीएसपी महिलाओं को केवल योग्य वित्तीय विशेषज्ञों से सलाह लेकर दायित्व ग्रहण करने तथा स्वयं के पैसों का स्वामित्व प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इस मौके पर श्रीमती अदिति कोठारी देसाई, निदेशक एवं प्रमुख- बिक्री, विपणन व ई-व्यवसाय, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड, ने कहा, “आज भारत की युवा महिलाएं कार्यस्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रही हैं। स्वतंत्रता की बढ़ती आवश्यकता के साथ-साथ उनमें अपने भविष्य की बुनियाद को सुदृढ़ बनाने के लिए इच्छा भी मौजूद है। हालांकि, महिलाएं अपने निवेश संबंधी निर्णयों की ज़िम्मेदारी लेने को लेकर आशंकित महसूस कर सकती हैं- जो शायद प्रारंभिक वित्तीय शिक्षा की कमी, आत्मविश्वास की कमी या फिर इस बात को स्वीकार करने की वजह से है कि निवेश उनका कार्यक्षेत्र नहीं है।

सर्वेक्षण के एक हिस्से ने मुझे सबसे अधिक भयभीत कर दिया, जिसके अनुसार ज़्यादातर महिलाओं को उनके पिता की तुलना में उनके पतियों द्वारा निवेश हेतु प्रेरित किया जाता है। मैं सभी पिताओं से अपील करूंगी कि वे अपनी बेटियों को निवेश के बारे में सिखाएं तथा उन्हें शुरुआती स्तर पर प्रोत्साहित करें। हमारा अध्ययन महिलाओं को निवेश के बारे में शुरुआत में ही शिक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करता है, ताकि वे अच्छे बचतकर्ताओं से बेहतर निवेशकों के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ा सकें। उनके लिए उपयुक्त पेशेवर वित्तीय सलाह की उपलब्धता भी आवश्यक है, जो उन्हें आत्मविश्वासी बनने तथा अपने भाग्य को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होगा।”

कल्पेन पारेख, अध्यक्ष, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स प्राइवेट लिमिटेड ने कहा, “डीएसपी में हम साक्ष्यों पर आधारित परिज्ञान पर विश्वास करते हैं तथा उन्हें हमारे द्वारा आरंभ किए गए पहलों पर लागू करते हैं। शोध एवं व्यवहारिक समझ से हमें निवेशक की जरूरतों को डिकोड करने के हर पहलू को आकार देने में सहायता मिल सकती है, साथ ही हमें बेहतर सम्पर्क एवं पारस्परिक बातचीत में सहायता मिल सकती है, ताकि उन्हें अपने लक्ष्यों की योजना बनाने में अधिक ज़िम्मेदारी लेने में मदद मिल सके। इस तथ्य के बावजूद कि कुछ वरिष्ठ पेशेवरों एवं फंड मैनेजरों सहित हमारे उद्योग के कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा महिलाएं हैं, निवेश उद्योग द्वारा खुदरा निवेशकों के रूप में महिलाओं को बड़े पैमाने पर नज़रअंदाज़ किया गया है। हम मानते हैं कि, दीर्घकालिक उन्मुखीकरण तथा उनके अनुशासन के कारण हमारे उद्योग जगत द्वारा महिलाओं पर स्वाभाविक रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। डीएसपी ने विनवेस्टर तथा इससे संबंधित अन्य पहलों के माध्यम से इस खंड को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया है।”

 

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