न्यूज़ डेस्क : विदेशों में जहां भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गई वहां सामान्यत: इसे लागू करने वाली सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा है। लेकिन इसके उलट भारत में जीएसटी लागू करने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार दोबारा सत्ता में आने जा रही है।
इससे साफ है कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को प्रमुख आर्थिक सुधार के रूप में स्वीकार किया गया है। चुनाव परिणाम के अद्यतन रुझान में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में एनडीए को लोकसभा की 542 सीटों में से 349 सीटों पर बढ़त दिखाई गई है।
इन देशों में सरकारों की करारी हार : विदेशों की बात करें तो मलेशिया में संघीय सरकार को जीएसटी लागू करने के बाद हार मिली थी। ऐसा ही हाल न्यूजीलैंड और कनाडा की सरकारों का रहा। ऑस्ट्रेलिया में भी सरकार को इसकी कीमत चुकानी सत्ता से बेदखल हो कर देना पड़ा। दरअसल, इन देशों में कर सुधार कार्यक्रम के बाद वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ गई, जिसका लोगों में पैदा हुई नाराजगी का परिणाम सरकारों को भुगतना पड़ा। कर कानून के एक जानकार ने बताया, “ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि एक विशाल देश में जीएसटी लागू करने वाली सरकार को लोगों ने दोबारा चुना है।”
ऑस्ट्रेलिया में जॉन हॉवर्ड सरकार जीएसटी लागू होने के बाद हुए 1998 के आम चुनाव में बहुमत से पीछे रह गई थी। कनाडा में 1993 में हुए आम चुनाव में प्रधानमंत्री किम कैंपबेल की सरकार जीएसटी लागू करने की वजह से हार गई थी। सिंगापुर में 1994 में जीएसटी लागू किया गया था। इससे वहां तेजी से महंगाई बढ़ी और सरकार को जनता का गुस्सा झेलना पड़ा।
जीएसटी में कटौती का मोदी को मिला फायदा : कर कानून के एक जानकार ने कहा कि ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि एक विशाल देश में जीएसटी लागू करने वाली सरकार को लोगों ने दोबारा चुना है। राजनीतिक कारणों से उन्होंने अपना नाम बताने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखा और उद्योग की मांगों पर सक्रियता से काम किया।
जीएसटी और सरल बनाने की योजना : सरकार जीएसटी को और सरल बनाने की योजना पर काम कर रही है। वरसारी एडवाईजर्स इंडिया एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर अमित कुमार सरकार ने कहा कि सरकार आगे सेवा क्षेत्र के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाएगी क्योंकि यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी ताकत रही है। उल्लेखनीय है कि भारत में जीएसटी की चार दरें हैं जिनमें खाने-पीने की वस्तुएं सबसे निचली पांच फीसदी श्रेणी में हैं।
एक अन्य जीएसटी मामलों के सलाहकार ने कहा, “कई देशों में जहां जीएसटी लागू की गई वहां सरकारों ने वादा किया कि इसको लेकर पैदा होने वाली समस्याओं का समाधान एक साल के भीतर किया जाएगा, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद एक साल के भीतर चुनाव आ गया।” उन्होंने कहा, “यहां (भारत) जीएसटी लागू होने और चुनाव होने के बीच दो साल का अंतर है।”
बता दें कि मोदी सरकार ने एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया जोकि एक अप्रत्यक्ष करों में एक बड़ा बदलाव था और इसके बाद अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत घट गई, जिससे दुनिया में भारत एक प्रतिस्पर्धीअर्थव्यवस्था बन गया है।
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