न्यूज़ डेस्क : पिछले दिनों जब उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस के शहर व्लादिवोस्तोक में बैठक कर रहे थे, तब दुनिया के कुछ बड़े देश किम की कार को लेकर परेशान थे। आपको भले ही यह सुनकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है। दरअसल, जिस कार में किम राष्ट्रपति पुतिन से मिलने पहुंचे थे वह बख्तरबंद लिमोजीन कार थी। यह कार किसी भी तरह के हमले को सह सकती है।
खास लोगों के लिए बनाई जाने वाली लिमोजीन कार प्रमुख लोगों की जरूरत और उनकी सुरक्षा के हिसाब से तैयार की जाती है। राष्ट्राध्यक्षों द्वारा इस तरह की कारों के इस्तेमाल पर यूं तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए, लेकिन जहां तक उत्तर कोरिया के प्रमुख की बात है तो यह जरूर हैरान करने वाली बात है।
प्रतिबंध के बाद कैसे पहुंची कार : ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तर कोरिया पर अमेरिका समेत संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। इसकी वजह उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम है। इन प्रतिबंधों के चलते कोई भी देश या कंपनी उत्तर कोरिया को न तो कोई सामान बेच सकती है और न ही खरीद सकती है। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया को लिमोजीन जैसे लक्जरी गुड्स बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इन प्रतिबंधों का मकसद देश पर उसके परमाणु हथियार छोड़ने के लिए दबाव डालना है।
ऐसे में उत्तर कोरिया के प्रमुख के पास बख्तरबंद लिमोजीन कार कहां से आई यह बड़ा सवाल है। इसका सीधा सा अर्थ ये भी है कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और प्रतिबंधों को ताक पर रखा जा रहा है । आपको बता दें कि इस कार को जर्मनी की कंपनी डायम्लर तैयार करती है। लेकिन किम के पास यह कार कहां से आई इसका कंपनी के पास कोई जवाब नहीं है। वहीं दूसरी तरफ किम के रूसी राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद निगाह में आई लिमाजीन कार ने कुछ देशों की खासतौर यूरोपीय देशों की भौहें चढ़ा दी हैं।
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