केंद्र सरकार आरक्षण ख़त्म करनी की दिशा मे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाएगी सरकार  

न्यूज़ डेस्क :13 सूत्रीय आरक्षण रोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाएगी सरकार l 13 सूत्रीय रोस्टर पर मचे विवाद के बीच केंद्र सरकार दो सौ प्वाइंट रोस्टर के लिए अध्यादेश लाने जा रही है। मोदी सरकार की संभावित अंतिम कैबिनेट बैठक में सात मार्च को अध्यादेश का प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके तहत एससी, एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती में आरक्षण का आधार डिपार्टमेंट नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय एक इकाई के रूप में माना जाएगा। अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही विश्वविद्यालयों में पिछले एक साल से शिक्षक भर्ती पर लगी रोक हट जाएगी। इसके बाद 2019 सत्र से शिक्षकों की भर्ती विश्वविद्यालय एक इकाई के रूप में होगी। 

 

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंगलवार को कहा कि हम 200 प्वाइंट रोस्टर लाना चाहते हैं। शिक्षकों को दो दिन इंतजार करना होगा। 

मोदी सरकार सोशल जस्टिस में विश्वास करती है। इसी के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें शिक्षक भर्ती में आरक्षण का आधार विभाग नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय माना जाए। हालांकि अदालत ने इसके खिलाफ फैसला लिया और विभागीय रोस्टर लागू करने का निर्देश। 

अदालत के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दायर की, जोकि खारिज हो गई। जावडेकर ने कहा कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण का आधार विश्वविद्यालय इकाई के रूप में लागू करने के लिए दो दिन में फैसला हो जाएगा।

क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर:  
13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के अनुसार महाविद्यालय-विश्वविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक पद पर नियुक्ति हेतु विषयवार/विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार किया जाएगा। यह 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली पर आधारित होगा।  इसमें प्रथम तीन पद सामान्य के लिए और चौथा पद  ओबीसी के लिए आरक्षित रहेगा। पांचवां-छठा पद भी सामान्य रहेगा. सातवां पद एससी और 14वां पद एसटी के कोटे में जाएगा। 

अर्थात एक विषय में 04 रिक्तियां होंगी तो एक ओबीसी को मिलेगा, 07 रिक्तियां होने पर एक पद एससी को तथा 14 रिक्तियां होने पर एक पद एसटी के खाते में जाएगा। अब स्थिति यह है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में रिक्तियां काफी कम होती हैं, मुश्किल से एक या दो पदों की ही भर्ती निकलती है। ऐसे में आरक्षित वर्ग को विश्वविद्यालयों में नौकरी मिलना कठिन हो जाएगा। 

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