न्यूज़ डेस्क : घर खरीदारों को बड़ा तोहफा देते हुए जीएसटी परिषद ने रविवार को निर्माणाधीन और किफायती घरों पर लगने वाले जीएसटी में बड़ी कटौती की है। निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के मकानों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया है, जबकि किफायती घरों (अफोर्डबल हाउसिंग) पर जीएसटी दर को 8 फीसदी से घटाकर एक फीसदी कर दिया गया है। हालांकि नई दरों के बाद बिल्डर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगे। वहीं, वाणिज्यिक संपत्ति के जीएसटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की बैठक के बाद इस बदलाव का एलान किया। उन्होंने कहा कि हम रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा बूम देना चाहते हैं। किफायती घरों की परिभाषा को बदला गया है, जिससे अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें। बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में 45 लाख तक की लागत वाले 60 वर्ग मीटर कार्पेट एरिया तक के मकान किफायती माने जाएंगे, जबकि नॉन मेट्रो शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के घर किफायती माने जाएंगे। नई जीएसटी दरें 1 अप्रैल 2019 से लागू होंगी।
असर: फैसले से ऐसे बदलेगी सूरत
- मकान खरीदारों की धारणा को मजबूती मिलेगी और देश में गैर बिके 6 लाख मकानों की बिक्री में तेजी आएगी।
- किफायती आवासीय परियोजनाओें के लिए निवेश बढ़ेगा और मध्य वर्ग के घर का सपना पूरा जल्दी पूरा होगा।
- जीएसटी परिषद द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ खत्म करने से बिल्डर्स को निराशा हुई है।
जीएसटी घटाने से खरीदारों को होगा फायदा
रविवार को जीएसटी काउंसिल ने अर्फोडेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर टैक्स की दर को 8 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने का भी निर्णय लिया है और निर्माणाधीन संपत्तियों पर पांच फीसदी जीएसटी का निर्णय लिया है। मेट्रो शहरों में 60 वर्ग मीटर तक के कारपेट एरिया वाले घरों को अफोर्डेबल हाउसिंग की श्रेणी में रखा गया है। गैर मेट्रो शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के कारपेट एरिया वाले घरों को किफायती आवास की श्रेणी में रखा गया है। इससे ग्राहकों को फायदा होगा।
Comments are closed.