‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ के राजेंद्र सेठी उर्फ चंदन खुराना का इंटरव्यू

  • ‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ का कॉन्‍सेप्‍ट क्‍या है?

इस शो की मूल कहानी, शादी के बारे में बात करती है, वह भूत परेशानी खड़ी करता है क्‍योंकि वह नहीं चाहता कि शादी हो। वह ऐसा क्‍यों चाहता है कि यह बात दर्शकों को शो को देखने के बाद ही पता चलेगी।

 

  • अपने किरदार चंदन खुराना के बारे में कुछ बतायें

चंदन खुराना बहुत ही खुशमिजाज इंसान है, लेकिन उसके जीवन का एक दुखद पहलू है, उसकी सास उसे पसंद नहीं करती, जबकि शादी को इतने साल बीत चुके हैं। वह मन से उसे पसंद करती है या नहीं ये तो पता नहीं लेकिन बाहर से तो ऐसा ही नज़र आता है कि वह उससे नफ़रत करती है और उसकी बुराई करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है। वह इस बात को पचा नहीं पा रही कि कोई बैंडवाला उसका जमाई हो सकता है।

 

  • एक सफल शादी को लेकर आपकी क्‍या राय है?

सबसे पहली चीज कि मैं कम उम्र की शादी में भरोसा नहीं करता, यानी 18 साल की उम्र में होने वाली शादियों पर। उस उम्र में आप मानसिक रूप से तैयार नहीं होते हैं, चाहे वह लव मैरिज हो या फिर अरेंज, उसके साथ काफी सारी जिम्‍मेदारियां जुड़ी होती हैं।

 

दूसरी बात कि यदि शादी में आप एक-दूसरे का एक जैसा सम्‍मान और महत्‍व नहीं देते हैं तो वह सफल नहीं हो सकती। मैंने यह गलती की है कि शादी के समय मैं शायद इतना परिपक्‍व नहीं था। इसलिये, आपको यह बात समझने की जरूरत होती है कि अपने परिवार के साथ-साथ अपनी पत्‍नी के प्रति भी आपकी जिम्‍मेदारियां होती हैं। मुझे लगता है कि यह बात सही कही गयी है कि दोनों गाड़ी के पहिये होते हैं और हमेशा ही एक साथ काम करते हैं। आज के समय में वैसा नहीं है जैसे पहले हुआ करता था कि महिलाओं के समान बर्ताव ना किया जाता हो। मुझे तो यह लगता है कि पहले भी ऐसा नहीं था; यह केवल कुछ लोगों द्वारा जबर्दस्‍ती थोपा जाता था। इसलिये, मुझे ऐसा लगता है कि यदि आप एक-दूसरे को समान रूप से सम्‍मान देते हैं तो वह एक सफल शादी होती है।

 

  • टेलीविजन पर और भी हॉरर कॉमेडी शोज़ हैं। ‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ किस तरह अलग है?

मैं 12 सालों से टेलीविजन से दूर था। लेकिन यह शो काफी अलग है, इसलिये मैं इस शो को कर रहा हूं। पहले मैं टेलीविजन नहीं देखता था लेकिन अब मैंने देखना शुरू किया है क्‍योंकि मैं टेलीविजन के लिये काम कर रहा हूं और फिलहाल टेलीविजन पर कुछ बेहद ही अद्भुत शोज़ दिखाये जा रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि हाल ही में मैंने एक शो देखा, जिसमें हॉरर और अन्‍य डरावनी चीजों को किनारे रख दें तो जूही परमार का अभिनय मुझे पसंद आया था। साथ ही, मैं भूतों या आत्‍माओं वाले ऐसे शोज़ देख रहा हूं, जिन्‍हें मैं पहले नहीं देख सकता था। हालांकि, हमारा शो सिर्फ इस वजह से अलग नहीं है कि यह हॉरर कॉमेडी है, बल्कि इसे जिस ईमानदारी के साथ लिखा और निर्देशित किया गया है वह अलग है। साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि ‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ कॉमेडी के जोनर में सोनी सब के शोज़ के लिये एक मिसाल साबित होने वाला है। इसके साथ ही एक तय सीरीज होने के कारण, दर्शकों के दिलों में एक अलग जगह बनाने वाला है। मैं गलत हो सकता हूं लेकिन यह मेरा विश्‍वास है और इसी वजह से मैं इस शो में काम करने के लिये तैयार हुआ था।

 

  • आपको इस शो के बारे में क्‍या पसंद आया?

इतने प्रतिभाशाली कलाकारों को एक साथ लाने की बात ने मुझे इस शो की तरफ सबसे ज्‍यादा आकर्षित किया। यदि हम मुकेश तिवारी जी की बात करें, जबकि उन्‍होंने टेलीविजन के लिये कभी काम भी नहीं किया है। इसलिये, उनके साथ बाकी कलाकारों जैसे नीलू जी और अमरदीप जी इस शो के लिये एक साथ आये जिससे यह साबित होता है कि यह अलग शो है। चूंकि, हमारा बैकग्राउंड थियेटर का है, मेरा मानना है कि यदि आपकी कास्टिंग सही हुई है तो 50 प्रतिशत काम तो तभी पूरे हो जाते हैं, उसके बाद तो सिर्फ राइटर की स्क्रिप्‍ट पर खरा उतरना होता है।

 

  • इस शो से आपकी क्‍या उम्‍मीदें हैं ? दर्शकों को क्‍या चीज पसंद आयेगी?

इस शो की अच्‍छी बात है कि यह परिवार के बारे में बात करता है, जोकि अंबाला में रहता है और दर्शक इसके किरदारों की वजह से उससे जुड़ेंगे ना कि हॉरर की वजह से। यह वह हॉरर नहीं है कि कोई किसी के शरीर में प्रवेश कर रहा है; यह भूत पहले ही अपनी जिंदगी का मारा हुआ है। वह उस परिवार को इस तरह से परेशान करता है कि वह मजेदार नज़र आता है और उसका इरादा इस हद तक लोगों को नुकसान पहुंचाना नहीं है कि किसी के शरीर से खून निकलने लगे या उसकी आंखें बाहर आने लगे और यही इस शो की अलग बात है।

 

  • आप क्‍या ज्‍यादा करना पसंद करेंगे, फिल्‍में या टेलीविजन?

फिल्‍में। हालांकि, टेलीविजन से जुड़ना भी बेहद जरूरी है, लेकिन मुझे थियेटर या फिल्‍में करना ज्‍यादा संतोषजनक लगता है। सीरियल्‍स में काम करना काफी ऊबाऊ हो जाता है क्‍योंकि आपको लगातार काम करना होता है, लेकिन फिल्‍मों में आप 10-15 दिन के लिये काम करते हैं और वह भी कट के साथ। टेलीविजन में काम करने के लिये आपको बहुत ज्‍यादा कमिटमेंट करना होता है, क्‍योंकि प्रोडक्‍शन की अपनी मजबूरियां होती हैं और यह मेरे लिये थोड़ा मुश्किल है।

 

  • ‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ में आपका पसंदीदा किरदार कौन-सा है?

मेरे किरदार के अलावा, मुझे नानी का किरदार पसंद है,जिसे अमरदीप झा निभा रही हैं।

 

  • क्‍या आप भूतों पर यकीन करते हैं? क्‍या कभी भूतों/आत्‍माओं से आपका पाला पड़ा है?

इस तरह की तो कोई बात नहीं हुई है, लेकिन हमेशा ही यह सवाल उठता है कि यह होता है या नहीं। उदाहरण के लिये, मैं परिवार की कुछ परेशानियों के कारण बालाजी मंदिर गया था और वहां कुछ ऐसे लोग आये हुए थे, जिनके साथ कुछ असामान्‍य सा था। जो लोग भूतों या आत्‍माओं के होने पर भरोसा करते हैं उन्‍हें खासतौर से इस तरह की परेशानियां होती हैं और वे बालाजी जाते हैं और पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। इसलिये, मानें या ना मानें लेकिन कुछ शक्तियां तो होती हैं, लेकिन मैं यही चाहता हूं कि कभी भी पैरानॉर्मल अनुभव करने को ना मिले।

 

  • यदि आपकी मुलाकात कभी संजीव शर्मा जैसे भूत से हो जाती है तो आप उसका सामना किस तरह से करेंगे?

डरना स्‍वभाविक बात है। लेकिन कोई भूत संजीव शर्मा की तरह इतना बोलने वाला हो तो मैं उससे यही पूछूंगा कि ‘’मैं ही क्‍यों कोई और क्‍यों नहीं?

 

  • अब तक शूटिंग का अनुभव कैसा रहा है?

यह वाकई बहुत खूबसूरत है और मैंने हां कहने को लेकर दोबारा नहीं सोचा। सच हूं तो यह ऐसी जगह नहीं है कि जब आप सेट पर पहुंच रहे हैं तो डायरेक्‍टर उलझन में है और 2 घंटे तक कोई स्क्रिप्‍ट ही नहीं है। यहां सबकुछ पहले से ही तय है। इस शो के राइटर अमितोष ने पहले ही 26 एपिसोड की सिनोप्सिस तैयार कर रखी थी और 14 दिनों की स्क्रिप्‍ट लिखी हुई थी। हम हर दिन स्क्रिप्‍ट पर चर्चा करते थे और चूंकि सारे कलाकार थियेटर बैकग्राउंड के हैं तो सेट पर पहुंचने से पहले हम रिहर्सल भी कर लेते हैं। इससे परफॉर्मेंस और भी दमदार हो जाती है। मैं बस उम्‍मीद करता हूं कि अब तक जितने आराम से सबकुछ हो गया, आगे भी ऐसा ही हो।

 

  • कुछ ऐसे लोग होते हैं जो आसानी से डर जाते है। आप उन लोगों से क्‍या कहना चाहेंगे?

मैं यह कहना चाहूंगा कि डर अपनी जगह है लेकिन इस तरह की चीजों पर इतनी आसानी से विश्‍वास ना करें। यह आधुनिक दुनिया है और ऐसी किसी चीज के होने का कोई पुख्‍ता सबूत नहीं है। इस तरह के विषय पर फिल्‍में और शोज़ बनते हैं क्‍योंकि लोगों को वे पसंद आते हैं। जिस दिन लोग ऐसी चीजें देखना बंद कर देंगे, तो लोग बनाना बंद कर देंगे , क्‍योंकि यह सच नहीं है। जैसा कि पहले भी मैंने कहा, कुछ लोग हैं जो ऐसी चीजों का सामना करते हैं, जोकि सामान्‍य नहीं है लेकिन हो सकता है कि वह आत्‍मा की मौजूदगी की बजाय कोई मनोवैज्ञानिक कारण हो, जिसका सही इलाज ना किया गया हो। लोगों ने अब यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि अब इस तरह का व्‍यवहार कोई मानसिक समस्‍या भी हो सकती है, बल्कि किसी आत्‍मा की वजह से नहीं। यह समय ऐसी चीजों पर भरोसा करने का नहीं है, क्‍योंकि इस तरह की चीजों का वजूद नहीं है।

 

  • क्‍या इस शो में आपके किरदार और वास्‍तविक जीवन में कोई समानता है?

इस बात को छोड़कर कि मेरा शादी वाला कोई बैंड नहीं है। मुझे इस किरदार के लिये बहुत काम नहीं करना पड़ा क्‍योंकि इस तरह के किरदार पहले से ही मुझसे जुड़े हुए हैं। मैं दिल्‍ली का रहने वाला हूं और इसलिये पंजाबी पृष्‍ठभूमि वाले किरदार को निभाना मेरे लिये थोड़ा आसान था।

 

  • क्‍या आप सोनी सब देखते हैं? इस चैनल पर आपका पसंदीदा शो कौन-सा है?

मुझे ‘अलादीन: नाम तो सुना होगा’ उसकी कल्‍पनाशीलता की वजह से पसंद है, जोकि मुझे अच्‍छा लगता है। मैं इसे स्मिता बंसल के अभिनय के लिये देखता हूं और उसमें जिस तरह के ग्राफिक्‍स का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा, ‘तारत मेहता का उल्‍टा चश्‍मा‘ बेहतरीन शो है और काफी लंबे समय से चल रहा है।

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