प्रदेश में यूरिया संकट, बेपरवाह बने अधिकारी अधिकारियों के पास पोर्टल अपडेट करने का समय नहीं

भोपाल। प्रदेश में यूरिया संकट के हालात निर्मित हो गए हैं। इस संकट के लिए अधिकारियों की लापरवाही पूरी तरह से जिम्मेदार है। यूरिया संकट के चलते किसान यूरिया पाने के लिए मरने-मारने पर उतारू हैं। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बन रही है। केंद्र सरकार ने फर्टिलाईजर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए पोर्टल बनाया है, जिसमें नियमित तौर पर स्टॉक की जानकारी देना पड़ती है। मप्र ने अब तक इस पोर्टल को अपडेट ही नहीं किया। इसके चलते पोर्टल पर अब भी मप्र में 4 लाख 53 हजार मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता बताई जा रही है। यही वजह है कि केंद्र ने इस महीने यूरिया सप्लाई कम कर दी।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि किसान भाइयों को यूरिया उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार गंभीर है। आपूर्ति बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार से चर्चा भी की गई है। सीएम ने कहा कि मप्र सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है।भोपाल (ईएमएस)। प्रदेश में यूरिया संकट के हालात निर्मित हो गए हैं। इस संकट के लिए अधिकारियों की लापरवाही पूरी तरह से जिम्मेदार है। यूरिया संकट के चलते किसान यूरिया पाने के लिए मरने-मारने पर उतारू हैं। पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बन रही है। केंद्र सरकार ने फर्टिलाईजर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए पोर्टल बनाया है, जिसमें नियमित तौर पर स्टॉक की जानकारी देना पड़ती है।

मप्र ने अब तक इस पोर्टल को अपडेट ही नहीं किया। इसके चलते पोर्टल पर अब भी मप्र में 4 लाख 53 हजार मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता बताई जा रही है। यही वजह है कि केंद्र ने इस महीने यूरिया सप्लाई कम कर दी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि किसान भाइयों को यूरिया उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार गंभीर है। आपूर्ति बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार से चर्चा भी की गई है। सीएम ने कहा कि मप्र सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है। सूत्रों की माने तो मध्य प्रदेश में रबी के सीजन में यूरिया की कमी को लेकर जिस तरह हाहाकार मचा है, उसके लिए केंद्र सरकार दोषी नहीं है, न ही केंद्र सरकार ने मप्र का कोटा घटाया है।

केंद्र के आईएफएमएस नाम के पोर्टल पर रोजाना की खपत और स्टॉक की जानकारी अपलोड करना होता है। मप्र ने इसे अपडेट ही नहीं किया, जिसके चलते केंद्र सरकार ने यूरिया सप्लाई नहीं किया। अफसरों का कहना है कि पोर्टल पर वही स्टॉक एंट्री अपडेट होती है जो पीओएस मशीन द्वारा की जाती है। हम बिना पीओएस के खाद बेच रहे हैं इसलिए केंद्र सरकार के पास स्टॉक की सही जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा दिल्ली में केंद्रीय उर्वरक मंत्री से बातचीत के बाद जल्द ही प्रदेश को 12 रैक यूरिया मिलने की उम्मीद है। इय संबंध में कृषि उत्पादन आयुक्त मप्र पीसी मीणा का कहना है कि प्रदेश में पीओएस मशीन का उपयोग नहीं कर रहे हैं। भारत सरकार सिर्फ पीओएस की एंट्री को ही मानती है। यहां किसानों की लाइन लगी है ऐसे में पीओएस का इस्तेमाल संभव नहीं है। हमें जितना खाद मिला था सारा बिक चुका है। अभी मात्र डेढ़ लाख टन का स्टॉक है।

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