नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने जर्मन कार निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन को 100 करोड़ रुपए की अंतरिम राशि जमा करने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जमा करने के लिए कहा है। फॉक्सवैगन पर अपनी डीजल गाड़ियों में उत्सर्जन परीक्षणों के दौरान कथित तौर पर ‘चीट डिवाइस’ लगाने का आरोप है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बैंच ने नुकसान का आकलन करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया।
इस कमेटी का सदस्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया को बनाया है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने कमेटी को आदेश दिया है कि वह एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। साथ ही, इस मामले में याचिकाकर्ता को अपने विवादों के साथ सात दिनों के भीतर कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता सतविंदर सिंह सोंधी ने अपनी याचिका में फॉक्सवैगन पर प्रदूषण उत्सर्जन मानकों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था और कंपनी की गाड़ियां पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
जिसके जवाब में वाहन निर्माता कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 2015 में कंपनी ने स्वैच्छिक रूप से 3.23 लाख कारें वापस लेने प्रस्ताव दिया था। उस समय खबरें आई थीं कि कंपनी की ई189 डीजल इंजन में एक ऐसी डिवाइस लगी होती है, जो उत्सर्जन परीक्षण के दौरान को प्रदूषण स्तर को कम करके दिखाता है। लेकिन परीक्षण में यह बात सामने आई थी कि वाहनों में अतिरिक्त नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन के स्तर का कारण बन रहा है। साथ ही कंपनी ने भी माना था कि उसने इस डिवाइस के साथ पूरी दुनिया में 1 करोड़ से ज्यादा गांड़ियां बेची हैं और अकेले अमेरिका में उस पर 18 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगा था।
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