लंदन : डेनमार्क स्थित आरहुस यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 63 लाख लोगों पर पैरासिटामॉल, आइबुब्रूफेन और डाइक्लोफेनैक सहित अन्य दर्द निवारक दवाओं के दुष्प्रभाव आंके। उन्होंने पाया कि स्टेरॉयड रहित ये दवाएं शरीर से पानी और सोडियम निकालने की किडनी की रफ्तार धीमी कर देती हैं।
इससे रक्त प्रवाह तेज हो जाता है। साथ ही अंगों को खून पहुंचाने में ज्यादा दबाव पड़ने के कारण धमनियों के फंटने और व्यक्ति के हार्ट अटैक व स्ट्रोक का शिकार होने का खतरा रहता है। अध्ययन में यह भी देखा गया कि दर्द निवारक दवाएं ब्लड प्रेशर घटाने में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को बेअसर बनाती हैं।
मुख्य शोधकर्ता मॉर्टन शिमित के मुताबिक दर्द निवारक दवाएं दिल की धड़कन को अनियंत्रित करती हैं। इससे व्यक्ति को बेचैनी, घबराहट, सीने में दर्द और पसीना आने की शिकायत हो सकती है।
उन्होंने सभी देशों की सरकारों से ऐसा सख्त कानून बनाने की मांग की, जिसके तहत बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा की दुकानों पर पेनकिलर की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध हो।
सिर या जोड़ों में दर्द उठा नहीं कि पेनकिलर खा लेते हैं? अगर हां तो संभल जाइए। दर्द निवारक दवाओं का अंधाधुंध सेवन हार्ट अटैक और स्ट्रोक से मौत का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ा देता है।
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