लंदन । जक्के टैमिनेन के बहुत से शागिर्द हैं जो आम छात्रों की तरह ही बर्ताव करते हैं। वो इम्तिहान से एक दिन पहले सारी रात जाग कर पढ़ते हैं, ताकि जितना हो सके उतना चीज़ें याद कर लें। मगर, किसी भी छात्र के लिए इससे ग़लत काम नहीं होता। ये बात ख़ुद टैमिनेन कहते हैं। वो छात्रों को चेतावनी देते हैं
कि इम्तिहान से एक रात पहले जागना उनके लिए बहुत नुक़सानदेह है। टैमिनेन कहते हैं कि सोते हुए टेप रिकॉर्डर पर किसी भाषा का ऑडियो सुनते हुए सोने पर वो भाषा याद हो जाएगी, ऐसा बिल्कुल नहीं है। हां, नींद का हमारी ज्ञान बढ़ाने की कोशिश से गहरा ताल्लुक़ है। टैमिनेन ही नहीं तमाम और रिसर्चर्स के तजुर्बों से ये बात सामने आई है। टैमिनेन अभी जो रिसर्च कर रहे हैं,उसमें शामिल होने वालों को पहले नए शब्द याद कराए जाते हैं। फिर उन्हें रात भर जगा कर रखा जाता है।
टैमिनेन, इन लोगों की याददाश्त को पहले कुछ दिनों, फिर कुछ हफ़्तों बाद परखते हैं। पता ये चला है कि शब्द याद करने के बाद सारी रात जागने वाले छात्र बाद के दिनों में चाहे जितना सो लें, उनके याद किए हुए शब्द दोबारा याद करने में दिक़्क़त होती है। इन लोगों के मुक़ाबले, जो लोग शब्दों को याद करने के बाद रात में सो गए, उन्हें याद किए हुए लफ़्ज़ों को दोबारा याद करने में मशक़्क़त नहीं करनी पड़ी। अगर आप ठीक से नहीं सोते, तो भले ही आप कितनी कोशिशें कर लें, आप की याददाश्त कम ही रहनी है।
हम ने टैमिनेन की ‘स्लीब लैब’ में जाकर सोते हुए लोगों के ज़हन में झांकने की कोशिश की। इस लैब में बिस्तर के ऊपर छोटी सीईईजी मशीन यानी इलेक्ट्रोएनसेफैलोग्राफी मशीन लगी होती है। इस मशीन के ज़रिए सो रहे लोगों के दिमाग़ की गतिविधियों पर नज़र लखी जाती है। ये देखा जाता है कि सोते वक़्त दिमाग़ के अलग-अलग हिस्सों (फ्रॉन्टल, टेम्पोरल और पैरिएटल) में क्या हो रहा होता है। इसके अलावा ठोढ़ी और आंखों की हरकतों पर भी निगाह रखी जाती है।
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