नई दिल्ली । साल 2018-19 में भारत के कच्चे तेल के आयात पर खर्च लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकता है, क्योंकि रुपए में रेकॉर्ड गिरावट के चलते विदेश से तेल खरीदने के लिए अधिक रशि देना पड़ रही है। डॉलर के मुकाबले रुपया शुरुआती ट्रेड में रिकॉर्ड निचले स्तर 70.32 तक चला गया था।
इससे पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात करता है। उसने 2017-18 में 22.043 करोड़ टन कच्चे तेल के आयात पर लगभग 5.65 लाख करोड़ रुपए खर्च किए थे। अगर चालू वित्त वर्ष में रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के आसपास रहता है
तो क्रूड ऑइल का आयात बिल 114 अरब डॉलर होगा। एशियाई देशों में भारत की मुद्रा में सबसे अधिक कमजोरी आई है। इस साल यह डॉलर के मुकाबले करीब 8.6 प्रतिशत तक गिर चुका है।
भारी-भरकम ऑइल आयात बिल के चलते भारत का व्यापार घाटा बढ़कर जुलाई में 18 अरब डॉलर हो गया था। रुपए में गिरावट से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम को लाभ होगा, क्योंकि इन्हें तेल के लिए रिफाइनिंग कंपनियों से डॉलर में पैसा लेते हैं।
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