टेस्ट में दिमाग का करना होता है ज्यादा इस्तेमाल

नई दिल्ली ।  भारत की सीमित ओवरों की टीम के नियमित सदस्य लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने कहा है कि टेस्ट में गेंदबाज को दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करना होता है क्योंकि खेल के लंबे प्रारुप में बल्लेबाज आक्रामक नहीं होता। चहल ने हाल ही में इंडिया-ए और दक्षिण अफ्रीका-ए के बीच खेली गई दो चार दिवसीय मैचों की सीरीज में लाल गेंद से दो साल बाद वापसी की थी।

इस सीरीज में उनके हिस्से चार विकेट आए। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की वेबसाइट पर चहल के हवाले से लिखा गया है, तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगता है क्योंकि बल्लेबाज के ऊपर ज्यादा दबाव नहीं होता। वनडे और टी-20 में अगर रन रेट ज्यादा है तो बल्लेबाज आपको मारने की कोशिश करेगा वहां आप उसका विकेट ले सकते हैं। लेकिन टेस्ट में आपको अपनी योग्यता से बल्लेबाज को आउट करना होता है।”

उन्होंने कहा, टेस्ट में आपको अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ता है क्योंकि आपको वहां 30-35 ओवर गेंदबाजी करनी होती है जबकि टी-20 में सिर्फ चार ओवर। चहल इंग्लैंड दौरे पर गई भारत की सीमित ओवरों की टीम का हिस्सा थे। हालांकि उन्हें शानदार प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली थी। इंग्लैंड के अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा,

इंग्लैंड का मेरा अनुभव काफी अच्छा था क्योंकि यह मेरा पहला इंग्लैंड टूर था, लेकिन मेरा ध्यान गेम पर था। अगर मुझे टीम में जगह नहीं मिली तो अब मेरा ध्यान एशिया कप पर है। विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम पहले दो टेस्ट मैचों में जीत हासिल नहीं कर पाई चहल को हालांकि उम्मीद है कि टीम वापसी करेगी।

उन्होंने कहा, इंग्लैंड में परिस्थतियां तेज गेंदबाजों के पक्ष में हैं। वहां गेंद भी काफी स्विंग हो रही है। आपने देखा ही होगा कि जेम्स एंडरसन ने टेस्ट में अपने 550 विकेट पूरे कर लिए हैं। उन्होंने कहा, वहां बल्लेबाजी हमेशा से काफी मुश्किल होती है, लेकिन यह पांच मैचों की टेस्ट सीरीज है। अगर आप शुरुआती मैचों में मात खा जाते हैं तो आपके पास अंतिम तीन मैचों में वापसी करने का मौका है।”

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