नई दिल्ली । पड़ोसी देश चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक तेज आर्थिक विकास और देश के कई राज्यों में हुए चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत के कारण नरेंद्र मोदी को आधुनिक भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिना जा रहा है। हालांकि विवाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।
नैशनल डिवेलमेंट ऐंड रिफॉर्म कमिशन में इंटरनैशनल कोऑपरेशन सेंटर के असोसिएट रिसर्चर माओ कीजी ने लिखा है
कि चार साल के कार्यकाल के बाद भी भारत में यह सवाल पूछा जा रहा है, ‘क्या मोदी भारत के लिए अच्छे हैं?’ ऐसे में पक्ष और विपक्ष में बहस भी हो रही है। लेख में नोबल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का भी जिक्र किया गया है। आपको बता दें कि हाल में सेन ने अपनी नई पुस्तक ‘भारत और उसके विरोधाभास’ पर चर्चा के दौरान कहा था, ‘चीजें बहुत खराब हो गई हैं।
इस सरकार (मोदी सरकार) के आने के पहले से ही चीजें बिगड़ गई थीं। हमने शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त काम नहीं किया है और 2014 के बाद से इन क्षेत्रों को लेकर हम गलत दिशा की ओर बढ़े हैं।’
भारत में अगले आम चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि मोदी और उनकी नीतियों को लेकर भारतीयों की क्या राय है
क्योंकि इसी पर देश का भविष्य निर्भर है। लेख में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर पैदा हुए विवाद प्रमुख तौर पर राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक रहे हैं। इससे उनकी छवि हार्डलाइन हिंदुत्व अजेंडा को आगे बढ़ानेवाले नेता की बनी है। हालांकि इनमें से कोई भी मसला उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि आर्थिक मुद्दा।
लेख में कहा गया है कि नारों और राजनीतिक विरोधियों के आरोप-प्रत्यारोप से अलग आर्थिक मसले ही ऐसे हैं जो उद्देश्य को पूरा करने वाले नतीजे सामने रखते हैं। मोदी के सामाजिक और राजनीतिक अजेंडा पर हुए विवादों के बीच आर्थिक विकास ही है जो साफतौर पर दिखाई दे रहा है।
यही वजह है कि इस पर ज्यादा चर्चा होती है। ऐसे में सवाल यह है कि जब इंडिकेटर्स से अर्थव्यवस्था के आंकड़े सामने आ रहे हैं तो विवाद क्यों हैं? लेख में इसका जवाब भी दिया गया है- मोदी की आर्थिक नीतियों के फायदे को एकसमान रूप से नहीं लिया जा रहा है।
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