नीतियों में बदलावों से उद्योग का जोखिम बढ़ा

मुंबई । केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों की आलोचना करते हुये उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि अप्रत्याशित ढँग से नियमों में किए जाने वाले बदलाव से उद्योग जगत के लिए जोखिम बढ़ गया है। एसोचैम ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अचानक केंद्र या राज्य सरकारें कोई अधिसूचना जारी कर देती हैं जिससे कई बड़ी कंपनियों के लिए भी मुश्किलें बढ़ जाती हैं। उसने कहा है कि नियमों में बदलाव से पहले सरकार को हितधारकों से बात करनी चाहिए।\

एसोचैम ने केंद्र सरकार द्बारा ट्रक का एक्सेल लोड बढ़ाने और महाराष्ट्र सरकार द्बारा सिनेमाघरों में दर्शकों को अपना खाना ले जाने की छूट का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों सरकारी नीतियों में अचानक बदलावों के उदाहरण हैं। इनके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में अक्सर नीतियों में बदलावों से पूरे वैल्यू चेन पर असर पड़ता है। उसने कहा है कि तेजी से बदलती तकनीकों के कारण भी कई क्षेत्रों में कंपनियों को पहले से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने दूरसंचार क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि एक कंपनी ने ब्रॉडबैंड वाली सभी सेवाओं के लिए कारोबारी घोषणा की और पूरे वैल्यू चेन में उथल-पुथल मच गया। बड़ी कंपनियाँ तो टेलीविजन, लैंडलाइन फोन, डिवाइस कनेक्टिविटी जैसी कई सेवाएँ दे रही हैं, लेकिन छोटी कंपनियाँ डीटीएच, ब्रॉडबैंड जैसी एक या दो सुविधाओं में कारोबार कर रही हैं। उनके लिए मुश्किल ज्यादा है। कहीं न कहीं बाजार में लंबे समय से काम कर रही कंपनियों ने अपना स्थान सुरक्षित मान लिया था। अब उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।

नीतिगत बदलावों की घोषणाएँ न सिर्फ क्षेत्र विशेष के नियामक कर रहे हैं, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारें भी इसमें पीछे नहीं हैं। इसी प्रकार उच्चतम न्यायालय के पैनल के किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले ही दूरसंचार नियामक ने अपनी सिफारिश दे दी है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति भी डाटा की निजता और अन्य संबंधित मुद्दों के मामले की जांच कर रही है। एसोचैम ने कहा है कि कंपनियों को नीतियों में त्वरित बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए। बदलावों से पहले उद्योगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

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