नई दिल्ली । रिलायंस जियो ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा वित्तपोषित मोबाइल सेवा परियोजनाओं के लिए टेंडर में 2जी तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य बनाने की शर्त से पुरानी दूरसंचार कंपनियों को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही इस निर्णय से देश के खजाने को लगभग 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने इस संबंध में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के प्रशासक संजय सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र की प्रति दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा और दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन को भेजकर उनसे इस शर्त को हटाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। जियो ने पत्र में कहा है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए हाल के टेंडर में 2जी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अनिवार्य करने के यूएसओएफ एडमिनिस्ट्रेशन के फैसले से हम काफी निराश है।
यह पक्षपातपूर्ण, मनमाना और पीछे ले जाने वाला फैसला है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 214 मोबाइल टावर लगाने के लिए जून में बिड आमंत्रित की थी। इन टावरों के जरिए गांवों और नेशनल हाइवे पर 2जी और 4जी सर्विसेज दी जाएंगी। सरकार इस प्रोजेक्ट की फंडिंग यूएसओएफ के जरिए करेगी। यूएसओएफ में रकम टेलीकॉम कंपनियों के योगदान से आती है।
जियो ने कहा है कि 2जी को अनिवार्य करना भेदभावपूर्ण कदम है। इससे इस टेंडर में 4जी ऑपरेटर्स के शामिल होने पर रोक लगेगी। इसके साथ ही कंपनी ने आरोप लगाया है कि पुरानी टेलीकॉम कंपनियां इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल अपने पुराने और बेकार पड़े नेटवर्क इक्विपमेंट को अंडमान और निकोबार में लगाने के लिए करेंगी,
जबकि देश के अन्य हिस्सों में यही कंपनियां अपने नेटवर्क को 4जी में अपग्रेड कर रही हैं। इस प्रोजेक्ट का प्रबंधन कर रहे यूएसओएफ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और पूर्वोत्तर के बिना टेलीकॉम कनेक्शन वाले गांवों में कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लिए इसी तरह की शर्त रखने का प्रस्ताव दिया है।
जियो के प्रतिनिधियों ने 19 जून को हुई प्री-बिड मीटिंग में आरोप लगाया था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और मेघालय में टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए इस शर्त को लागू करने से सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान होगा। पत्र के अनुसार, ‘नई टेक्नोलॉजी पर रोक लगाने से कॉस्ट भी 30-40 फीसदी बढ़ जाएगी।
उदाहरण के लिए, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के टेंडर में ही इस शर्त के नहीं होने की स्थिति में सरकार लगभग 100 करोड़ रुपए बचा सकती थी। जियो ने कहा है कि 2जी तकनीक अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। बहुत से विकसित और विकासशील देशों ने पहले ही अपने 2जी नेटवर्क को पूरी तरह बंद कर दिया है। भारत में भी 2जी तकनीक पर आधारित 75,000 से अधिक टावर बंद किए गए हैं।
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