नई दिल्ली । यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने एक जुलाई से आधार की वर्चुअल आईडी के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद विभिन्न सेवाओं और दस्तावेजों के लिए आधार का इस्तेमाल और आसान हो जाएगा।
यूआईडीएआई की ओर से जनवरी में जारी सर्कुलर के मुताबिक, वर्चुअल आईडी (वीआईडी) एक 16 अंकों वाला विशिष्ट नंबर है, जिसे सिर्फ आधार धारक द्वारा ही बनाया अथवा बदला जा सकता है। हालांकि यह मुमकिन नहीं है कि इस वर्चुअल आईडी से आधार नंबर को पता किया जा सके। साथ ही किसी एक आधार नंबर से एक बार में सिर्फ एक ही एक्टिव वर्चुअल आईडी बनाई जा सकेगी।
आधार धारक यूआईडीएआई की वेबसाइट, आधार नामांकन केंद्र या एमआधार एप से अपनी वर्चुअल आईडी बना सकते हैं। इन सभी माध्यमों का इस्तेमाल करने के लिए धारक का मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना जरूरी है, क्योंकि वर्चुअल आईडी बनाते समय वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) इस नंबर पर आएगा। यह सुविधा दो अप्रैल से मिलनी शुरू हो चुकी है।
आधार धारकों के निजता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यूआईडीएआई ने बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की पहल की है। इसे बनाने के बाद धारक किसी भी सत्यापन के लिए आधार नंबर की जगह वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल कर सकता है। किसी भी प्रमाणीकरण के लिए अब तक धारक को संबंधित कंपनी या एजेंसी के पास अपना 12 अंकों वाला आधार नंबर दर्ज कराना होता है।
लेकिन 1 जुलाई के बाद कंपनी या एजेंसी को आधार नंबर की जगह 16 अंकों वाला वर्चुअल आईडी नंबर देना होगा, जिसके इस्तेमाल के समय आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा। सभी बैंक, भुगतान बैंक, बीमा कंपनी, एनपीसीआई, पीपीआई, एनबीएफसी, टेलीकॉम ऑपरेटर या अन्य एजेंसियों पर प्रमाणीकरण के लिए आधार वर्चुअल आईडी की जरूरत पड़ेगी।
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