नई दिल्ली । मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए ऐसी 2.25 लाख मुखौटा कंपनियों को नोटिस दिया जा चुका है, जिनमें इलीगल एक्टिविटी का आशंका है। इस बारे में केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को कठोर चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी कंपनी की स्वायत्तता निवेशकों के हितों की कीमत पर नहीं हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इन कंपनियों की स्क्रूटनी में कुछ बड़े खुलासे हो सकते हैं।
असल में यह केंद्र सरकार द्वारा मुखौटा कंपनियों के खिलाफ अभियान का अगला चरण है, जिसमें इन 2.25 लाख मुखौटा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस कदम से मुखौटा कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा लगा सकेगा।
सरकार की ओर से कहा गया है कि जो 2.25 लाख कंपनियां सरकार के निशाने पर हैं, उनमें लंबे समय से बिजनेस एक्टिविटीज नहीं हो रही हैं। इन कंपनियों ने लंबे समय तक फाइनेंशियल स्टेटमेंट या एनुअल रिटर्न फाइल नहीं किया है। ऐसे में आशंका है कि इनका इस्तेमाल काले धन को सफद करने के लिए किया जा रहा है।
इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में रजिस्ट्रार्स ऑफ कंपनीज (आरओसी) मुखौटा कंपनियों की पहचान कर 2,26,166 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर चुकी है। मैं सुनिश्वित हूं। निजी तौर पर मुझे लगता है कि जब हम खारिज की जा चुकी कंपनियों की जांच करेंगे, कुछ जानकारियां जरूर बाहर आएंगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद मुखौटा कंपनियों की पहचान कर उनके खिलाफ एक्शन लेने का अभियान शुरू किया था। सरकार का मानना है कि मुखौटा कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद करने का काम किया जाता है।
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