कर्म के बल पर ही हम हर मुश्किल से बाहर निकल सकते हैं, जो हमें अपनी जंजीरों से जकड़ लेती है। कर्म के सहारे ही हम ऊंचाइयों के उस मुकाम पर पहुंच सकते हैं, जिसकी हमने कामना की है। हमारे कर्म ही हमारे भाग्य को परिवर्तित करते हैं और हमें हमारे कर्मों के अनुरूप ही फल मिलता है।
विचारों में लाएं ट्थिरता
जब हम सुखों के भव-सागर में डूबे होते हैं, तब हम गर्व की अनुभूति करते हैं। अपने आपको भाग्यशाली समझते हैं कि हम अच्छे मुकाम पर पहुंच गए हैं। पर इसके विपरीत की स्थिति जब हमारे जीवन में आती है और हमारा हर एक काम बिगड़ता नजर आता है, तो हम भाग्य को दोष देने लगते हैं। ऐसे में एक बात आपको समझ लेनी चाहिए कि आपने यदि कर्म किए हैं तो उसका फल जरूर मिलेगा, अब ये बात अलग है कि आपने कर्म कैसे किए हैं। किसी को अपने दोषों के कारण कोसना कहां का न्याय है?
स्वयं का करें मंथन
भाववश जब हम किसी भी विकट समस्या के शिकार होते हैं, हम अपने भाग्य को कोसते नजर आते , हैं। जबकि हमारे भाग्य की नींव हमारे कर्मों पर टिकी हुई है। उसी के फलस्वरूप हमारे जीवन में उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है। अर्थात हमारे कर्म ही हमारे भाग्य को लिखते हैं। बार-बार दुखों के अधीन होकर हम उस भाग्य को दोष देने लगते हैं, जो कि बिल्कुल उचित नहीं है। हम भाग्य के साथ-साथ विधाता को भी इसके लिए कसूरवार मान उसे दोषी ठहराने लगते हैं, जो सिर्फ हमारी मूर्खता को ही दर्शाता है। अगर हमें दोष देना ही है तो किसी को भी नहीं खुद को देना होगा, भाग्य को दोष देना उचित नहीं है । क्योंकि हमारी भाग्य हमारे कर्मों के अनुरूप फलीभूत हो रहा है इसलिए सर्वप्रथम हमें किए गए कर्मों पर चिन्तन करना होगा।
कर्म को पहचानें स्वयं से जुड़ें
हमारे कर्म किस दिशा की ओर जा रहे हैं और किसकी संगति के साथ जी रहे हैं ताकि हमारा जीवन शिखर की चोटी पर पहुंच सके। ऐसा तब सम्भव होगा जब हमारा मन अच्छे और बुरे को पहचान कर अपने जीवन का सही मार्गदर्शन कर पाएगा। प्रत्येक मानव अपना भाग्य खुद लिखने में समक्ष है, पर उसका मन माया की नगरी में खो गया है, जिसे हम संसार कहते हैं। अगर हमारा मन माया के तल से ऊपर उठकर इस बात का चिन्तन करेगा कि हमारा भाग्य हमारे कर्मों के अनुरूप ही चलेगा तो शायद हम तनाव मुक्त जीवन ही पाएंगे और अपने मन की मांग पूरी करने के लिए हाय-तौबा नहीं मचाएंगे। जब हमें इस बात का बोध हो जाएगा कि हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिख रहे हैं तो हम हर काम को बेहतर ढंग से पूरा कर पाएंगें और स्वयं से जुड़ पाएंगे।
Related Posts
Comments are closed.