नई दिल्ली । पंजाब नेशनल बैंक को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से चेतावनी पत्र मिली है। इस पत्र में सेबी ने चेताया है कि पीएनबी भविष् में ऐसी कोई भी जानकारी नहीं छुपाएगा जिसे नियम के तहत सेबी और शेयर बाजार के साथ साझा करना जरूरी है।
सेबी के अनुपालन और मॉनिटरिंग सहायक ने 15 मई के पत्र में पीएनबी की ओर से फ्रॉड की जानकारी देने में एक से छह दिन की देरी का उल्लेख किया है। यह जानकारी पीएनबी की सिक्योरिटी फाइलिंग से गुरुवार को मिली है। पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। बैंक ने बताया है कि फरवरी में दो ज्वैलरी ग्रुप ने दो बिलियन डॉलर से ज्यादा का फ्रॉड कर बिदेशी शाखाओं से क्रेडिट जुटाया था।
बैंक ने पहले बताया था कि उसने केवल 280 करोड़ रुपये का ही फ्रॉड किया है लेकिन घोटाले के बढ़ते जांच दायरे के बाद पता चला कि यह बैंकिंग सेक्टर का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला रहा है।
कैसे हुआ घोटाला?
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का इस्तेमाल किया गया था। ज्वैलरी डिजायनर नीरव मोदी ने अपनी फर्म के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से ये फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग हासिल किये। फर्जी इसलिए क्योंकि न तो इसे बैंक के सेंट्रलाइज्ड चैनल से दिया गया और न ही जरूरी मार्जिन मनी नहीं थी। जारी होने के बाद इन LoUs की जानकारी स्विफ्ट कोड मैसेजिंग के जरिए सभी जगह भेज दी गई। इन LoU को नीरव मोदी ने विदेशों में अलग अलग सरकारी और निजी बैंक की शाखाओं से भुना लिया। भुनाई हुई राशि करीब 11000 करोड़ रुपए की थी।
पे ऑर्डर की तरह ही ये लेटर ऑफ क्रेडिट भी कंपनी की ओर से भुगतान न करने पर उन बैंकों में भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं जहां से लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी हुआ होता है। पीएनबी के पास जब यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भुगतान के लिए आए तो बैंक ने इनका भुगतान करने में असमर्थता जताई। जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
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