लखनऊ । भाजपा एक तरफ मिशन 2019 की तैयारी में जी-जान से जुटी है और दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं का असंतोष उबाल पर है। हद यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे में अफसरों का नाकारापन उजागर हो रहा है और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बार-बार अफसरों को चेतावनी देनी पड़ रही है। भाजपा और आरएसएस को यह चिंता सताने लगी है कि कार्यकर्ताओं का असंतोष कहीं मिशन 2019 में भारी न पड़ जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रतापगढ़ में रात्रि विश्राम किया तो वह दलित के घर भोजन कर सामाजिक समीकरण साधने में सफल रहे लेकिन, विकास कार्यों के प्रति अफसरों की लापरवाही ने उनका गुस्सा बढ़ा दिया। जनता ने अफसरों की कलई खोल दी। योगी सरकार के मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह के विधानसभा क्षेत्र की ऐसी स्थिति हो तो आम विधायकों के क्षेत्र का अनुमान लगाया जा सकता है। तभी तो आये दिन अफसरों और विधायकों के बीच बवाल की खबरें सार्वजनिक हो रही हैं।
अभी गुजरे मंगलवार को बांदा जिले में जल निगम की समस्याओं के प्रति उदासीनता और फोन पर बात न करने से नाराज भाजपा विधायक ब्रजेश प्रजापति अधीक्षण अभियंता (एसई) के कार्यालय पहुंच भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नोटों की माला पहनाई। प्रजापति ने अपनी नाराजगी जाहिर करने का नायाब तरीका ढूंढा और मंडलायुक्त तक अपनी शिकायत पहुंचाई लेकिन, बहराइच जिले में भाजपा विधायक माधुरी वर्मा के पति व पूर्व विधायक दिलीप वर्मा ने उसी रात अपने साथियों के साथ श्रावस्ती किसान सहकारी चीनी मिल के सुरक्षा अधिकारी को लाठी-डंडों से दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
गन्ना लेने को लेकर मिल प्रशासन व किसानों के बीच हुए विवाद में विधायक पति ने कानून अपने हाथ में ले लिया। यह कोई अकेली घटना नहीं है। ऐसी घटनाओं का सिलसिला है। उन्नाव में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जैसे एक-दो मामलों को छोड़ दें तो इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदेश भर में विधायक और कार्यकर्ता नेतृत्व तक गुहार लगा रहे हैं कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
शाह के पहले दौरे से ही हक की आवाज मुखर
जब सरकार बनने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहला दौरा किये तभी से कार्यकर्ताओं, विधायकों के हक की आवाज उठ रही है। शाह ने इन समस्याओं के समाधान का फार्मूला भी दिया लेकिन, वह जमीन पर नहीं उतर सका। बाद में उनके सभी दौरों में यह बात उभरी और उन्होंने सख्ती के साथ अंकुश लगाने के निर्देश दिए। आरएसएस, भाजपा और सरकार की समन्वय बैठकों में भी हर बार यह समस्या छायी रहती है।
निर्देशों की अनसुनी कर रहे अफसर
मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कई बार शासनादेश जारी कर जनप्रतिनिधियों के पत्र पर वाजिब कार्रवाई के निर्देश दिये। पर, अफसरों के रवैये पर मुख्य सचिव ने भी यह नाराजगी जताई कि बार-बार निर्देशों के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है। सरकार और संगठन से जुड़े तमाम वरिष्ठों ने अफसरों को सुधरने की चेतावनी दी, लेकिन कोई असर नहीं दिखा।
अफसरों को भारी पड़ेगी अनदेखी
अनुशासित कार्यकर्ता ही भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। भाजपा सरकार और संगठन के समन्वय से चौपालों द्वारा गांव-गरीब के सुझाव और शिकायतों से विकास का रोडमैप तैयार हो रहा है। इसकी अनदेखी अफसरों को भारी पड़ेगी। – डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा, उप्र
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