नई दिल्ली । उपभोक्ताओं को दालें फिर न रुलाएं, इसके लिए सरकार पुख्ता बंदोबस्त करने में जुट गई है। दलहन खेती को पूरा प्रोत्साहन देने के चलते जहां रकबा बढ़ा, वहीं उत्पादकता में भी सुधार हुआ है। दलहन की जमाखोरी और कालाबाजारी पर पाबंदी लगाने के लिए बाजार दखल योजना कारगर साबित हुई है। दलहन की खरीद बफर स्टॉक के मुकाबले कई गुना अधिक होने की संभावना है।
सरकार ने 20 लाख टन दलहन का बफर स्टॉक बनाकर पहले ही बाजार को काबू में रखने की रणनीति तैयार कर ली है। चालू रबी खरीद सीजन में केंद्र सरकार की एजेंसियां जहां बफर स्टॉक के लिए खरीद कर रही हैं, वहीं राज्य एजेंसियों को भी दलहन फसलों की खरीद के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस बाबत उन्हें वित्तीय मदद दी गई है।
केंद्रीय खरीद एजेंसी नैफेड ने दलहन की खरीद चालू कर दी है। दालों की पूरी खरीद घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आधार पर होगी। नैफेड के अपर प्रबंध निदेशक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार सभी राज्यों ने अपने यहां दलहन की खरीद का लक्ष्य तय किया है। दलहन खरीद का पूरा दायित्व केंद्रीय खरीद एजेंसी नैफेड को दिया गया है। सिंह के मुताबकि रबी सीजन की प्रमुख फसल चना खरीद का लक्ष्य 18 लाख टन है, जबकि अरहर खरीद के लिए 10 लाख टन का लक्ष्य निर्धारित है। इसी तरह मसूर का खरीद लक्ष्य 2.5 लाख टन है, जबकि रबी सीजन की उड़द की सीमित खरीद होती है।
चना की खरीद के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने अकेले 23 लाख टन खरीद का लक्ष्य भेजा है, जिसके लिए वह केंद्र सरकार पर लगातार दबाव बना रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव होने के नाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। कृषि मंत्रलय के सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश में चना खरीद का लक्ष्य हर हाल में बढ़ाया जाएगा। राज्य में चना की भारी पैदावार हुई है।
दलहन खरीद के लक्ष्य को राज्य सरकारें और बढ़ा सकती हैं, जिसके लिए केंद्र ने मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीदने की रणनीति तैयार की है। योजना के तहत राज्यों की नामित एजेंसियां सरकारी खरीद कर सकेंगी। लेकिन यह तभी होगा जब बाजार में दलहन के मूल्य एमएसपी ने नीचे बोले जाने लगें। राज्यों में कुल अनुमानित पैदावार का 40 फीसद हिस्सा खरीद सकते हैं। चालू रबी सीजन में सरकारी प्रोत्साहन से दलहन खेती का रकबा नौ फीसद बढ़कर 1.46 लाख हेक्टेयर हो गया था। इसके चलते दलहन की पैदावार में भी इजाफा होने का अनुमान लगाया गया है।
बाजार में दलहन के मूल्य एमएसपी से अधिक होने पर नैफेड सरकारी खरीद से पीछे हट सकता है। दरअसल, बफर स्टॉक के पूरा होने के बाद खरीद करना जरूरी नहीं होगा। एजेंसी इस बात का भी ध्यान रखेगी कि घरेलू बाजारों में कृत्रिम तेजी का रुख न बनने पाए।
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