लखनऊ । अवैध खनन के लिए बदनाम रहने वाले भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में अब हाईटेक घोटाला सामने आया है। विभाग के मास्टर सर्वर के डेटाबेस में छेड़छाड़ कर यह घोटाला किया गया है। इसमें ट्रेजरी में कम पैसा जमा करवाकर ज्यादा पत्थर ले जाने का ट्रांसपोर्ट परमिट जारी किया गया। एनआइसी के मिलान में यह गड़बड़ी पकड़ में आई। विभाग ने एसटीएफ के साइबर क्राइम थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज करा दी है।
दरअसल, सपा सरकार में बालू, मौरंग, गिट्टी सहित अन्य खनन सामग्री ले जाने के लिए जारी होने वाले प्रपत्र एमएम-11 (ट्रांसपोर्ट परमिट) में बहुत गड़बडिय़ां सामने आईं थीं। ट्रेजरी में रॉयल्टी जमा करने के बाद डीएम के यहां से मैनुअल एमएम-11 प्रपत्र जारी होते थे। इसमें कम पैसा जमा कर ज्यादा का परमिट जारी करने का खेल चलता था। प्रदेश में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो मैनुअल एमएम-11 प्रपत्र जारी करने बंद कर दिए गए।
इसकी जगह सरकार ने ऑनलाइन एमएम-11 प्रपत्र जारी करने का निर्णय लिया। इसमें खनन के पट्टे लेने वालों का डेटाबेस तैयार किया गया। इसमें खनिज दूसरे स्थान ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट परमिट ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसमें पहले ट्रेजरी में खनिज की रॉयल्टी जमा की जाती है। इसी रॉयल्टी के अनुसार यह परमिट जारी होता है।
इस ऑनलाइन व्यवस्था में भी भ्रष्टाचारियों ने सेंधमारी कर ली। मीरजापुर में 33 व झांसी में एक मामला पकड़ में आया है। एनआइसी के स्टेट इनफॉरमेशन अफसर सौरभ गुप्ता ने जब विभिन्न ट्रांजेक्शन में जमा की गई धनराशि व खनन परिवहन की मात्रा का मिलान किया तो उसमें 10 गुना तक अधिक के प्रपत्र मिले। उन्होंने इस मामले की जानकारी भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग को दी। विभाग के आइटी सेल के इंचार्ज व खान अधिकारी अमित कौशिक ने इस मामले में एसटीएफ के साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है।
खनन विभाग ने यूपी डेस्को के खिलाफ दर्ज कराया मामला
खनन विभाग ने इसमें यूपी डेस्को के अधिकारियों व डेटा सेंटर के सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर पर शक जताते हुए मामला दर्ज कराया है। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनका डेटाबेस यूपी डेस्को के स्टेट डेटा सेंटर के सर्वर में सुरक्षित रखा जाता है। सिक्योर सर्वर में एक्सेस का लॉगिन एवं पासवर्ड इन्हीं के पास होता है। इसके बगैर डेटाबेस में छेड़छाड़ संभव नहीं है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी
– कम पैसा जमा कर ज्यादा उपखनिज के परिवहन का एमएम-11 प्रपत्र जारी करने की जैसे ही जानकारी मिली तत्काल इसकी प्राथमिकी एसटीएफ में दर्ज करा दी गई है। इस मामले में कितने राजस्व का नुकसान हुआ है इसका आकलन अभी नहीं किया गया है। इसमें जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
– बलकार सिंह, निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग
– यह मामला डेटाबेस में छेड़छाड़ का है। मीरजापुर व झांसी के 34 मामले सामने आये हैं। खास बात यह है कि इसमें डेटाबेस में छेड़खानी करने के बाद उसके सुबूत तक मिटाये गए हैं। यह सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर के पासवर्ड के बगैर नहीं हो सकता है। इस मामले की जांच एसटीएफ से कराई जा रही है।
– राज प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग
– भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने यूपी डेस्को के अफसरों व सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर पर शक जताया है। इसमें दोषी कौन है यह जांच का विषय है। सर्वर किसने हैक किया, उसके डेटाबेस में किसने छेड़छाड़ की, यह एसटीएफ की जांच में साफ हो जाएगा। इस मामले की जांच के लिए यूपी डेस्को भी अपनी आंतरिक जांच कमेटी बना रहा है।
– प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव, प्रबंध निदेशक, यूपी डेस्को
– यह मामला साइबर क्राइम थाने में दर्ज है। इसकी जांच एसटीएफ ने शुरू कर दी है। साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. अरविंद चतुर्वेदी, एएसपी, एसटीएफ
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