नई दिल्ली: सरबजीत की लड़ाई में साथ देने वाले पाकिस्तान के ज़िंदादिल इंसान, वक़ील और मानवाधिकार कार्यकर्ता अवैस शेख़ का निधन हो गया है. इस बात की जानकारी अवैस शेख़ के बेटे ने एक फ़ेसबुक पोस्ट के जरिए दी है. पाकिस्तान में जान के ख़तरों के चलते अवैस शेख़ बेटे के साथ स्वीडन में रहने लगे थे.
सरबजीत की क़ानूनी लड़ाई में अवैस ने उनकी बहन दलजीत कौर की हर संभव मदद की. ग़लत पहचान का मामला उठा कर सरबजीत की रिहाई की कोशिश करने वाले अवैस अंत अंत तक सरबजीत के परिवार के साथ डटे रहे. अवैस शेख़ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पास सरबजीत की माफी की अर्ज़ी लगाने में भी परिवार की पूरी मदद की.
शेख़ ने सरबजीत पर किताब भी लिखी है. ग़ौरतलब है कि रिहाई की तमाम कोशिशों के बीच सरबजीत पर लाहौर की जेल में जानलेवा हमला हुआ. फिर उनका शव ही भारत लौट पाया. अवैस पाकिस्तान की जेलों में बंद दूसरे भारतीय क़ैदियों की रिहाई के लिए भी लड़ते रहे. उन्हें पाकिस्तान में भारत का एजेंट क़रार देकर धमकियां भी मिलीं और उनपर हमले भी किए गए. लेकिन अवैस शेख़ ने अपना अभियान नहीं छोड़ा.
सरबजीत पर पाकिस्तान में बम धमाका करने का आरोप लगा कर फांसी की सज़ा सुनाई गई थी. वे 23 सालों तक लाहौर की कोटभलवाल जेल में क़ैद रहे. भारत की कोशिशों और अवैस शेख़ जैसे पाकिस्तानी की मदद से बात रिहाई तक पहुंचती उससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई.
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