आबोहवा के अनुरूप वाली खेती को तरजीह, उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक की बनेगी श्रृंखला

नई दिल्ली। विशिष्ट जलवायु वाले क्षेत्रों के हिसाब से खेती को तरजीह दी जाएगी। इसके लिए खेती और उसके उत्पाद से जुड़े मंत्रालय सहयोग करेंगे। कृषि उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक संपूर्ण श्रृंखला बनाई जाएगी। सवा सौ से अधिक क्लामेटिक जोन में उसी के अनुरूप फसलें उगाई जाएंगी, ताकि उत्पादकता बढ़े और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिले।

कृषि मंत्रालय ने इस तरह की योजना पहले से तैयार की है, जिसमें राज्यों की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। कृषि मंत्रालय के साथ खाद्य प्रसंस्करण और वाणिज्य मंत्रालयों के आला अफसर साझा रणनीति तैयार करने में जुट गये हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह विशिष्ट फसलों की उत्पादकता अधिक होती है। सरकार ने उस क्षेत्र में किसानों का क्लस्टर बनाकर फसलों की खेती कराने की योजना बनाया है। फसल विशेष के हिसाब से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाये जाएंगे।

घरेलू बाजार के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए मंडी परिषदों और वाणिज्य मंत्रालय विशेष तौर पर सहयोग करेगा। जल्दी खराब होने वाली कच्ची फसलों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए कोल्ड चेन बनाने के साथ कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना है। प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक संपूर्ण श्रृंखला बनाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।

क्लस्टर आधारित खेती को चिन्हित कर मान्यता भी जाएगी, जिससे उनके उत्पादों को उचित बाजार मिल सके। सरकार इसे प्रोत्साहित भी करेगी। इसी योजना के तहत जैविक खेती को भी लिया गया है। लेकिन इसे व्यापक बनाने के लिहाज से इसका क्लस्टर रकबा बढ़ाकर एक हजार हेक्टेयर हेक्टेयर कर दिया गया है। कृषि उत्पादक संगठन और ग्रामीण उत्पादक संगठनों को जैविक खेती के लिए विशेष रियायतें दी जाएंगी।

गांवों में रोजगार सृजित करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को पूरी तरजीह दी जाएगी। चिन्हित क्लस्टर में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएगी, ताकि स्थानीय लोगों को रोजी रोजगार मिल सके। गांव से सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच बनाने की तैयारी को अंजाम देने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय का पूरा सहयोग लिया जाएगा।

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