नई दिल्ली । उम्मीद के मुताबिक दिल्ली विधानसभा सत्र का पहला दिन बेनतीजा रहा। सदन में जमकर हंगामा, कार्य स्थगित और अंत में विपक्ष पर काबू करने के लिए मार्शल की शरण में जाना पड़ा । इन सब के बीच विधानसभा अध्यक्ष के कथन ने विपक्ष को अचरज में डाल दिया।
दरअसल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जिस समय सदन में प्रवेश कर रहे थे, विपक्ष का हंगामा चरम पर था। इस दौरान सिसोदिया ने 351 सड़कों को अधिसूचित करने के मामले में अपनी बात रखनी चाही मगर हंगामे के चलते उन्हें व्यवधान हो रहा था।
इसी दौरान विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं सब कुछ सह सकता हूं। आप मुझे नहीं बोलने दें तो मैं सह लूंगा। लेकिन मंत्री को नही बोलने दें यह नहीं चलेगा। विपक्ष सदन को हाईजैक करने की कोशिश कर रहा है। यह लोकतंत्र की हत्या है।’
दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही के दौरान हुए हंगामे में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल जिस मुद्रा में दिखे। उसस विपक्ष को यही लग रहा था कि उनके लिए मंत्री का पद उनके पद से भी बड़ा है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष सीलिंग का विरोध कर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। मगर पूरे दिन की कार्यवाही में नतीजा शून्य निकला। इस सीलिंग के हल के प्रयासों पर तो चर्चा ही नहीं हुई। सदन के सदस्य एक दूसरे पर आरोप ही लगाते रहे।
कार्यवाही शुरू होते ही मौन के बाद शुरू हुआ हंगाम
दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चौ. प्रेम सिंह को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी। इसके बाद सत्ता पक्ष के विधायक साथ लाई गई तख्तियां लेकर खड़े हो गए। सीलिंग को लेकर शोर-शराबा शुरू हो गया। इसके बाद सदन में नारेबाजी का दौर शुरू हो गया। हंगामा करते हुए सत्ता पक्ष के विधायक वेल में आ गए।
यह हंगामा चलता रहा। विधानसभा अध्यक्ष सब कुछ सहते रहे और देखते रहे। लेकिन जैसे ही सदन में मंत्री का प्रवेश हुआ उनके तेवर तल्ख हो गए। सदन की कार्यवाही शुरू होने पर फिर से विपक्ष ने जोरदार ढंग से अपनी मांग उठाई।
हंगामा नहीं रुका तो इस बार 25 मिनट के लिए सदन स्थगित हुआ। इसके बाद जब सदन शुरू हुआ तो फिर से विपक्ष ने अपनी मांग दोहराई। विधानसभा अध्यक्ष ने इस बार वेल में आए विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता सहित चारों सदस्यों को मार्शल बुलाकर बाहर करा दिया।
News Source :- www.jagran.com
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