मुंबई: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि हम सबको मिलकर ऐसी संस्कृति बनानी है कि स्वरोजगार का चयन नौकरी न मिलने की मजबूरी के कारण नहीं, बल्कि नौकरी के अवसरों को छोड़कर किया जाए। यानी युवाओं को किशोरावस्था से ही नौकरी पाने की इच्छा रखने के बजाय नौकरी देने की अभिलाषा रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
राष्ट्रपति रविवार को ठाणे स्थित रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी द्वारा आयोजित युवा उद्यमी परिषद में बोल रहे थे। उद्यमशीलता के द्वारा आर्थिक लोकतंत्र पर कोविंद ने कहा कि इस संस्कृति को बढ़ावा देने का काम केवल सरकार का ही नहीं है बल्कि परिवारों, शिक्षण संस्थानों, निजी क्षेत्र के बैंकों और उद्यमियों व गैरसरकारी संस्थाओं को मिलकर ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जहां निजी कारोबार को अधिक सम्मान से देखा जाए। शुरुआती विफलता के दौर में हौसला बढ़ाया जाए और हर प्रकार से निजी कारोबार के लिए परिस्थितियां पैदा की जाएं। एक प्रचलित कहावत है कि आप एक गरीब आदमी को मछली देंगे तो उसकी एक दिन की भूख मिटेगी। लेकिन यदि आप उसे मछली पकड़ना सिखा देंगे तो वह जीवन-पर्यत अपना पेट भर सकेगा। इसी सिद्धांत के तहत युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मुद्रा-योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
वंचित वगरें के नौजवानों को इन कार्यक्रमों का लाभ लेना चाहिए और स्व-रोजगार तथा उद्यम की राह पकड़नी चाहिए। इन नौजवानों में प्रतिभा और महत्वाकांक्षा तो है। लेकिन प्राय: व्यवसाय के अनुभव का अभाव रहता है, क्योंकि उनके परिवारों में किसी ने पहले कभी कोई उद्यम नहीं चलाया है। ऐसे नौजवानों के उद्यमों को सहायता देने के लिए ‘रामभाऊ म्हालिगी प्रबोधिनी’ और ‘डिक्की’ जैसे संस्थान, कुछ बड़े औद्योगिक समुदाय व सरकार आगे आ रही है। केंद्र सरकार और सार्वजनिक उद्यमों की कुल खरीद का 4 फीसद अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों से लिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। टाटा समूह जैसे निजी क्षेत्र के उद्यम भी अनुसूचित जाति और जनजाति के उद्यमियों को अपने सप्लाई चेन में विशेष अवसर प्रदान कर रहे हैं।
बुद्ध का संदेश करें आत्मसात
बोरिवली के गोराई में ग्लोबल विपसना पगोदा में ग्रेटीट्यूट डे समारोह में उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के उस संदेश को आत्मसात करने की जरूरत है, जिसमें उन्होंने समाज को हिंसा से शांति की तरफ जाने के लिए कहा है। इसका आयोजन म्यांमार के विपसना शिक्षक सत्यगयी यू बा किन की पुण्यतिथि पर किया जाता है। कोविंद का कहना था कि महाराष्ट्र की ख्याति कई चीजों के लिए है, लेकिन इनमें यहां के आस्था के केंद्रों की पहचान अलग है। अजंता की की गुफाएं सारे विश्व के लोगों को बरबस ही अपनी तरफ खींच लेती हैं। उनका कहना था कि विपसना से ध्यान केंद्रित करने में खासी कामयाबी मिलती है। इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने सत्यगयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
News Source :- www.jagran.com
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