नई दिल्ल। दिल्ली हाईकोर्ट ने एड्स पीड़ितों की पेंशन राशि व अन्य सुविधाएं बढ़ाने में नाकाम दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, अगर दिल्ली सरकार के पास एड्स पीड़ितों को पेंशन व सुविधाएं देने के लिए रुपये नहीं हैं तो वह लोगों को मुफ्त बिजली-पानी क्यों बांट रही है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने सरकार को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। पीठ ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर उसके पास रुपये नहीं हैं तो मुफ्त में बिजली-पानी देना छोड़ दे।
पीठ ने कहा कि लोग एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें मासिक पेंशन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, जबकि ऐसे लोग मदद के असली हकदार हैं।
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली में एड्स पीड़ितों को एक हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती है, जो प्रतिदिन के हिसाब से 100 रुपये भी नहीं है। कोर्ट ने सरकार को न्यूनतम पेंशन देने पर विचार करने को कहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट एक हजार रुपये पेंशन को बढ़ाकर तीन हजार रुपये करने व अन्य सुविधाएं बढ़ाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
इस मामले में कोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र वकील अजय वर्मा ने अदालत को बताया कि केरल, गुजरात समेत अन्य कई राज्यों में एड्स पीड़ितों के लिए सब्सिडी पर राशन प्रदान करने व मुफ्त परिवहन जैसी योजना है, जबकि दिल्ली में ऐसी कोई योजना नहीं है। दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।
यह अलग बात है कि साल के आखिरी महीने के आखिरी सप्ताह में दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने पानी और सीवर शुल्क में संयुक्त रूप से 20 फीसदी बढ़ोतरी कर दी थी। 20 हजार लीटर प्रति महीने से ज्यादा उपभोग पर इस शुल्क में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। इसके तहत सब्सिडी योजना के तहत डीजेबी प्रति महीने 20 हजार लीटर तक के उपभोग पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जो आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्य चुनावी वादे में शामिल था। नई दरें फरवरी 2018 से लागू हो चुकी हैं।
News Source :- www.jagran.com
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