नई दिल्ली। अभी आम आदमी पार्टी (आप) के अंदर मची घमासान थमी भी नहीं थी कि उपराज्यपाल ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के गठन पर रोक लगाकर केजरीवाल सरकार की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। इसमें दिलचस्प यह है कि दिल्ली सरकार कुमार विश्वास को अपमानित करने वाले अपने चहेते जिन विधायक अमानतुल्लाह खान को फिर से दिल्ली वक्फ बोड का चेयरमैन बनाने पर तुली थी, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सरकार की इस इच्छा पर पानी फेर दिया है।
उपराज्यपाल ने एक अदालती आदेश का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड के गठन पर रोक लगा दी है। उपराज्यपाल की इस कार्रवाई से दिल्ली सरकार में बहुत बेचैनी है। इसे लेकर सरकार ने पलटवार किया। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि उपराज्यपाल ने जानबूझ कर इसे रोका है।
बता दें कि अमानतुल्लाह के चेयरमैन रहते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड में बड़ा घपला उजागर हुआ था। उस समय के उपराज्यपाल नजीब जंग ने बोर्ड को भंग कर दिया था। इस मामले की सीबीआइ जांच चल रही है। इसके बाद नवंबर 2017 में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के गठन की प्रक्रिया के लिए अधिसूचना जारी की थी।
जिसमें फिर से अमानतुल्लाह को चेयरमैन बनाने के लिए आप के मुस्लिम विधायकों ने उन्हें सदस्य चुन लिया था। उस समय बोर्ड के प्रबंधन के लिए सदस्यों को नियुक्त किए जाने की तैयारी चल रही थी। उसी समय 22 नवंबर 2017 को दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था कि किस तरह सरकार फिर से अमानतुल्लाह को चेयरमैन बनाने पर तुली है। जबकि अभी उनके समय हुए घपले की सीबीआइ जांच ही चल रही है।
दैनिक जागरण की खबर के तुरंत बाद ही दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिले थे और उनसे अमानत के बारे में शिकायत की थी।
उसके बाद उपराज्यपाल ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है। ज्ञात हो कि 7 अक्टूबर 2016 को उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया था। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड में अलग-अलग पदों पर हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी जो चल रही है। वक्फ बोर्ड का गठन पांच साल के लिए किया जाता है।
वर्ष 2011 में दिल्ली सरकार द्वारा गठित दिल्ली वक्फ बोर्ड का कार्यकाल दिसंबर 2016 में पूरा होने वाला था, लेकिन भ्रष्टाचार की शिकायत तथा बोर्ड के कुल सात सदस्यों में से पांच ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। फिलहाल दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े सभी अधिकार राजस्व सचिव को दे दिए गए थे।
उपराज्यपाल ने अपने आदेश में कहा है कि बोर्ड द्वारा गैरकानूनी काम करने, नियमों को न मानने और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप की जांच सीबीआइ करेगी। सितंबर 2016 में वक्फ बोर्ड में हुई भर्तियों में घोटाले की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने भी जांच शुरू की थी।
News Source :- www.jagran.com
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