‘युवा हुुंकार रैली’ पर अड़े जिग्नेश, पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास भारी फोर्स तैनात

नई दिल्ली। दलित नेता जिग्नेश मेवाणी द्वारा मंगलवार को संसद मार्ग थाने के सामने हुंकार रैली आयोजित करने की स्वीकृति दिल्ली पुलिस ने अभी तक नहीं दी है। मेवाणी की तरफ से नई दिल्ली जिला पुलिस से लिखित में रैली करने की मांग की गई थी, लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए अनुमति देने से इन्कार कर दिया कि जंतर-मंतर समेत आसपास के इलाके में धारा 144 लगी है।

बावजूद इसके पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास के इलाकों जिग्नेश मेवाणी विरोध में भी पोस्टर लगाए गए हैं। इस पोस्टरों पर नारे लिखे गए हैं, जिसमें बहस करने की चुनौती दी गई है।

पुलिस का कहना है कि एनजीटी का आदेश है कि जंतर-मंतर व उसके आसपास किसी भी तरह की रैली नहीं होने दी जाएगी।

गणतंत्र दिवस की सुरक्षा तैयारियों के मद्देनजर भी नई दिल्ली जिले में रैली करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके मद्देनजर पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि अनुमति न होने के बावजूद अगर लोग संसद मार्ग थाने के सामने इकट्ठा होंगे तो उनकी सुरक्षा दिल्ली पुलिस करेगी।

पुलिस को खुफिया जानकारी मिली है कि रैली में देश के कई राज्यों से 7-8 हजार लोग दिल्ली आ सकते हैं। अगर वे कानून तोड़ने की कोशिश करेंगे तो उनसे निबटने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली को हाई अलर्ट कर दिया गया है।

सभी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। नई दिल्ली जिला को खासतौर पर अभेद किला में तब्दील कर दिया गया है। जेएनयू से भी करीब 200 छात्रों के रैली में शामिल होने की सूचना है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि नई दिल्ली में पांच कंपनी पैरा मिलिट्री की भी तैनाती रहेगी। कानून तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश ने देश में दलितों पर अत्याचार होने की बात कहकर भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को रिहा करने की मांग को लेकर नौ जनवरी को युवा हुंकार रैली का आह्वान किया है। दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट में रैली बुलाई गई है।

इसमें देश भर के विश्वविद्यालय के छात्र और दलित नेता के शामिल होने की आशंका है। गत दिनों जिग्नेश की सभा के बाद भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

उक्त मामले में जिग्नेश पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडेय ने रैली की अनुमति नहीं दिए जाने की खबर को गलत बताया है। वहीं, जिग्नेश मेवाणी ने भी ट्वीट कर इसे कोरी अफवाह बताया है।

क्या है भीमा-कोरेगांव की लड़ाई

गौरतलब है कि 1 जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच, कोरेगाँव भीमा में लड़ी गई थी। भीमा-कोरेगांव युद्ध में अंग्रेजों ने पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय की सेना को हराया था। तब अस्पृश्य समझे जाने वाली महार जाति ने तब अंग्रेजों का साथ दिया था। तब से महार जाति ‘शौर्य दिवस’ मना रही है।

जिग्नेश-उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज

पुणे के पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिस वक्त शौर्य दिवस का कार्यक्रम हो रहा था तो मंच पर गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद भी मौजूद थे उन पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है। खबरों के मुताबिक, इनके बयानों के बाद दो समुदायों में हिंसा भड़की थी।

News Source :- www.jagran.com

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