चंडीगढ़। मेवात की पुन्हाना निवासी दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की मांग पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार को मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भपात पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए इस मामले में एचएचकेएम कॉलेज प्रबंधन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जहां दुष्कर्म का मामला हो वहां गर्भपात के लिए आने वाले आवेदन पर जल्द से जल्द मेडिकल बोर्ड बनाकर विचार किया जाना चाहिए।
मामले में आवेदन पर निर्णय नहीं लिया गया, जिसके कारण गर्भ की अवधि बढ़ी है। ऐसे में निदेशक हेल्थ सर्विसेस हरियाणा पूरी जांच करवाएं और देखें की इसके लिए दोषी कौन है। जो भी दोषी अधिकारी हों उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। याचिका का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर किया कि नए सिरे से मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड देखेगा कि यदि गर्भपात हुआ तो पीडि़ता की जान को कोई खतरा तो नहीं है। यदि कोई खतरा प्रतीत नहीं होता है तो उस स्थिति में गर्भपात की अनुमति दी जाए।
मामले में 17 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि उसकी लड़की के साथ एक पड़ोस की महिला ने काम के बहाने अपने घर 7 जुलाई को बुलाया। जहां दो युवकों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। लड़की को आरोपियों ने धमकी दी कि अगर उसके किसी को कुछ बताया उसको और उसके परिवार को मार दिया जाएगा। अचानक जब लड़की की तबीयत खराब हुई तो उन्होने जब लड़की का मेडिकल करवाया तो उनको पता चला कि उसकी लड़की गर्भवती हैं।
इसके बाद उन्होंने 9 नवंबर को पुलिस में इस बाबत शिकायत भी दी। लड़की का गर्भ 9 नवंबर 2017 को 16 सप्ताह का हो गया था। यह गर्भ दुष्कर्म के कारण था, इसलिए परिवार इसे रखना नहीं चाहता था। गर्भपात के लिए एचएचकेएम कॉलेज नूंह में इसके लिए आवेदन किया गया था। इस दौरान लंबे इंतजार के बावजूद अथॉरिटी ने गर्भपात को लेकर निर्णय नहीं लिया, जिसके कारण गर्भ की अवधि बढ़ती चली गई। कोई रास्ता न दिखाई देने पर पीड़िता के पिता ने हाई कोर्ट की शरण ली।
News Source :- www.jagran.com
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