नई दिल्ली। नर्सरी, केजी व कक्षा एक की सामान्य वर्ग की सीटों पर दाखिला के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके साथ ही स्कूलों ने अभिभावकों की स्क्रीनिंग करने का नया तरीका भी खोज लिया है। इस बार स्कूलों ने दाखिला मापदंड तो शिक्षा निदेशालय के निर्देशों के अनुरूप तैयार किए हैं, लेकिन अधिकांश स्कूल आवेदन फार्म में अभिभावकों की जाति, शैक्षणिक योग्यता, महीने की आमदनी और मकान की स्थिति के बारे में जानकारी मांग रहे हैं। ये दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों की खुली अवहेलना है।
राजधानी दिल्ली के तकरीबन 1700 निजी स्कूलों में सीटों को पारदर्शी, भेदभाव रहित तरीके से भरने के लिए वर्ष 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम निर्देश दिए थे। इसके तहत सबको समान शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक स्कूल को भेदभाव रहित व सरल दाखिला मापदंड तैयार करना होता है।
स्कूल दाखिला मापदंड इसी निर्देश के अनुरूप बना रहे हैं, लेकिन दाखिला के आवेदन फार्म में जाति, आमदनी, व शैक्षणिक योग्यता पूछकर अभिभावकों की स्क्रीनिंग कर रहे हैं।
अदालत की मनाही के बाद आवेदन फार्म में अस्पष्ट तरीके से पूछे जा रहे इन सवालों से कई अभिभावक असहज हैं और भविष्य में भेदभाव की संभावनाओं को लेकर परेशान भी हैं।
अभिभावक रमेश ठाकुर का कहना है कि रोहिणी स्थित द इंडियन स्कूल, सचदेवा पब्लिक स्कूल, पीतमपुरा स्थित अभिनव पब्लिक स्कूल में दाखिले के लिए ऑनलाइन फार्म नहीं भरे जा सकते हैं। यहां स्कूलों से आवेदन फार्म मिल रहे हैं। इनके आवेदन फार्म में कई ऐसे सवाल अभिभावकों से पूछे जा रहे हैं, जो प्रतिबंधित है।
उन्होंने बताया कि सचदेवा पब्लिक स्कूल के आवेदन फार्म में अभिभावकों की जाति, शैक्षणिक योग्यता, अभिभावकों का पेशा, व्यवसाय है तो उसका पता जैसे सवाल पूछे गए हैं। अभिनव पब्लिक स्कूल के आवेदन फार्म में अभिभावकों की शैक्षणिक योग्यता, पेशा समेत मासिक आय पूछी जा रही है।
द इंडियन स्कूल अपने आवेदन फार्म में बच्चे की जाति के बारे में जानकारी मांग रहा है। रमेश ठाकुर का कहना है कि जब इन बिंदुओं के आधार पर दाखिला होना ही नहीं है, तो यह सब जानकारी क्यों मांगी जा रही है।
वहीं, इस कड़ी में दरियागंज स्थित हैप्पी स्कूल अभिभावकों के मकान की स्थिति की जानकारी आवेदन फार्म के जरिए मांग रहा है। स्कूल ने अपने आवेदन फार्म में घर के पते के लिए 20 अंक निर्धारित किया है। साथ ही इस स्थान पर अपना मकान व किराए के मकान के दो कॉलम बनाए हुए हैं।
स्कूलों द्वारा मांगी जा रही इन जानकारियों को लेकर नर्सरी दाखिला से जुड़े सुमित बोहरा का कहना है कि अदालत के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य अभिभावकों की स्क्रीनिंग करना है। अगर स्कूलों को यह जानकारी अपने रिकार्ड के लिए चाहिए, तो वह यह सब जानकारी दाखिला देने के बाद भी पूछ सकते हैं।
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