खत्म हुआ तलाक तलाक तलाक.. लोकसभा में पास हुआ ऐतिहासिक बिल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के बाद मुस्लिम महिलाओं के सम्मान और हक की लड़ाई की एक जंग लोकसभा में जीत ली गई है। तीन तलाक को गैरकानूनी ठहराते हुए ऐसा करने वालों को सजा के प्रावधान वाला विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। इससे पहले सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की थी।

राज्यसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल लेगा। कांग्रेस के रुख को देखते हुए माना जा रहा है कि वहां भी विधेयक पारित कराना बहुत मुश्किल नहीं होगा। यह और बात है कि सरकार के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक जीत भी होगी। और चाहे अनचाहे राजीव गांधी के वक्त शाहबानो के खिलाफ और नरेंद्र मोदी के वक्त तीन तलाक पर कार्रवाई की बात भी उठेगी।

गुरुवार की सुबह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विरोधों के बीच विधेयक पेश किया। जैसा माना जा रहा था वैसा ही हुआ। राजनीतिक मजबूरी मे ही सही एआइएम, मुस्लिम लीग, राजद, अन्नाद्रमुक जैसे छोटे व क्षेत्रीय दलों को छोड़ दिया जाए तो विधेयक का विरोध नहीं दिखा। जाहिर तौर पर छोटे दल राजनीतिक समीकरण से अल्पसंख्यक मतों पर नजरें जमाए थे। लेकिन कांग्रेस के लिए यह नामुमकिन था। यही कारण है कि कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद बाहर भले ही इसका विरोध कर रहे हो, कांग्रेस ने सदन के अंदर समर्थन किया।

कांग्रेस ने प्रक्रिया या कानूनी ड्राफ्ट को लेकर जरूर सवाल उठाए। बाद में चर्चा हुई तो संशोधन भी पेश किए गए, विधेयक पर चर्चा के लिए इसे स्थायी समिति में भेजने की मांग भी हुई लेकिन वह खारिज हो गई। कांग्रेस की ओर से चर्चा में भाग लेते हुए सुष्मिता देव ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है लेकिन इस विधेयक पर विस्तृत विचार होना चाहिए। इसीलिए इसे स्थायी समिति को भेजना चाहिए। राजद के जयप्रकाश यादव ने तीन तलाक देने वालों के लिए तीन साल की सजा पर एतराज जताया। तो ओवैसी सबसे ज्यादा मुखर होकर विरोध मे दिखे और उन्होंने इसे मूलभूत अधिकारों के खिलाफ भी बताया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। बीजद जैसे दलों के साथ साथ उनका विरोध इस बात पर भी था कि जब तीन तलाक का अस्तित्व ही नहीं है तो फिर विधेयक क्यों?

लेकिन समर्थन के लिए विपक्ष मे भी कोई उनके साथ कोई बड़ा गुट नहीं दिखा। जवाब देने कानून मंत्री रविशंकर उठे तो एक एक कर हर किसी की आशंका को भी ध्वस्त कर दिया। उन्होंने ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया है। फिर भी ऐसी घटनाएं हो रही। उन्होंने एक खबर का जिक्र करते हुए कहा कि एक महिला को इसलिए तलाक दे दिया गया क्योंकि वह सुबह जल्द नहीं जगी। ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए जरूरी है सजा का भी प्रावधान हो।

किसी मंशा के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ इस संवेदना को किसी भी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई मुस्लिम देशों ने भी कानून बनाए हैं। ऐसे में क्या हमें आखें बंद कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हर किसी के सम्मान के लिए कृतसंकल्प है। इस बाबत उन्होंने कुछ उदाहरण भी पेश किए। रविशंकर ने कहा कि सरकार शरिया कानून में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है लेकिन तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने ही गैर कानूनी घोषित कर दिया है।विपक्ष की ओर से पेश सभी संशोधन पूरी तरह ध्वस्त हो गए। जबकि विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया।

सरकार के लिए यह बड़ी राजनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। इसका एक संकेत सुबह ही भाजपा संसदीय दल की बैठक में भी दिखा था जहां राजीव गांधी के काल में शाहबानो को न्याय न मिलने की बात कही गई। जबकि पिछले चुनावों में मुस्लिम महिलाओं का भाजपा की ओर झुकाव की बातें आती रही हैं। सख्त कानून जाहिर तौर पर एक अहम राजनीतिक मुद्दा हो सकता है।

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