9 साल की अन्वी सांघी बनी अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षक

इंदौर। अक्सर हम बच्चों की प्रतिभा को उनकी उम्र से मापने लगता हैं, बिना यह सोचे-समझे कि प्रतिभा उम्र की मोहताज़ नहीं होती। अपनी उम्र से बड़ा कुछ ऐसा ही काम कर दिखाया है डेली कॉलेज की कक्षा चौथी में पढ़ने वाली 9 साल की अन्वी सांघी ने उन्होंने 31 दिसंबर 2019 को 200 घंटे का अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (IYTTC) पूरा किया और अब वे एक प्रशिक्षित अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षक बन चुकी है।

 

 अब अन्वी लोगों को योग सिखाकर, उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहती है। अन्वी श्रीमती दीप्ति सोमानी डायरेक्टर, डिवाइन योगर्पण की आभारी है जिन्होंने उसे प्रेरित और प्रशिक्षित किया।

 

अपनी इस योग-यात्रा के बारे में अन्वी कहती है कि मैंने 2017 में अपनी योग यात्रा शुरू की थी और सितंबर 2019 में योग सीखना शुरू किया। मैंने डिवाइन योगार्पण, इंदौर से 31 दिसंबर 2019 को 200 घंटे का अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम (IYTTC) पूरा किया, जो योग एलायंस यूएसए से संबद्ध है।

 

यह योग मैट पर की जाने वाली सिर्फ कोई फैंसी चीज नहीं है, बल्कि मैंने योग-मैट से परे योग सीखा है। मुझे लगता है कि इस बात को सभी को समझना होगा। मेरी यात्रा मस्ती के साथ शुरू हुई और इस कोर्स ने मुझे सिखाया कि हमारा शरीर कैसा है, हमारा मन कैसा है। इस भौतिक शरीर को मैंने एनाटॉमी और फिजियोलॉजी द्वारा समझा लेकिन आयुर्वेद को जानकर शरीर का गहरा ज्ञान प्राप्त किया। हम इतने खुशकिस्मत हैं कि हम भारतीय हैं और हमें इन बातों का सहज ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

 

जीवन जीने की कला सिखाता है योग

अन्वी कहती है कि इस कोर्स के दौरान मुझे सही दिनचर्या के बारे में पता चला, जिसका मतलब है कि हमें जागने से लेकर वापस रात में सोने तक क्या-क्या करना चाहिए। मैंने उन 7 धातुओं के बारे में भी जाना, जिनसे हमारा शरीर बना है। ये 7 धातुएं रस, रक्त, ममसा, मेदा, मज्जा, अस्थि और सुक्र। मैंने दोष और त्रिगुण, चक्र, 6 ऋतुओं, पंच कोष और हमारे आंतरिक अंगों को साफ करने के लिए की जाने वाली क्रियाओं के साथ ही और भी बहुत कुछ सीखा। शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम करने से पहले मुझे लगता था कि केवल आसन और प्राणायाम करना ही योग है। मुझे लगता है कि अधिकांश लोग ऐसा ही सोचते हैं, लेकिन योग आपको अपने जीवन को सही तरीके से जीने की कला सिखाता है, जैसे हम सांस लेते हैं और हम सांस को रोक नहीं सकते हैं वैसे ही हमें योग को अपनी जीवनशैली बनाना होगा।

अष्टांग योग में हासिल की विशेषज्ञता

इस कोर्स के दौरान अन्वी ने अष्टांग योग सीखा। योग की इस शाखा के बारे में उन्होंने बताया कि अष्टांग योग केवल हमारी जीवनशैली से संबंधित है, हमें कुछ सामाजिक और आत्म अनुशासन बनाने चाहिए। नियमित रूप से हमें आसन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। हमें अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखते हुए ध्यान केंद्रित रखना चाहिए तभी हम हमारे अंतिम गंतव्य ‘मोक्ष’ तक पहुँच पाएंगे। अंत में अन्वी कहती है कि मैंने योग को अपनी जीवनशैली बना लिया है और मैं योग का प्रचार करके समाज में अपना योगदान देना चाहती हूं। 

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