नई दिल्ली । मानसून समय से पहले आने और उपज का बेहतर दाम मिलने के बावजूद चालू सत्र में कपास की बुवाई सुस्त पड़ गई है। देशभर में अब तक महज 63 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो पाई है
जबकि पिछले साल 123 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कपास का रकबा हो चुका था। कृषि कारोबारियों का कहना है कि पिछले साल महाराष्ट्र और तेलंगाना में पिंक बॉलवर्म के प्रकोप में कपास की फसल खराब हो गई थी। जिसकी वजह से कपास की खेती में किसानों की दिलचस्पी कम हुई।
देशभर में 10 जून 2018 तक कपास का रकबा 2018-19 में महज 63.08 लाख हेक्टेयर था जबकि पिछले साल यह रकबा 123.50 लाख हेक्टेयर था। पिछले साल के मुकाबले कपास का रकबा 48.92 फीसदी पिछड़ा हुआ है।
अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार उत्तर भारत में पंजाब में 2.85 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 6.65 लाख हेक्टेयर,
गुजरात में 11.44 लाख हेक्टेयर महाराष्ट्र में 19.57 लाख हेक्टेयर, मध्यप्रदेश में 4.87 लाख हेक्टेयर तेलंगाना में 8.8 लाख हेक्टेयर आंध्रप्रदेश में 0.79 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 0.032 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 0.076 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 2.22 लाख हेक्टेयर और अन्य प्रांतों में 0.172 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है।
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