359 फीसदी बढ़ी 13 सालों मे बीएमसी की बजट फिर भी बारिश से सभी परेशान

खास बातें : – 

  • 1860 में अंग्रेजों ने बनाया था मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम।
  • 25 मिलीमीटर प्रतिघंटे की है इस पुराने ड्रेनेज सिस्टम की क्षमता।
  • 10 गुना बढ़ गई है ड्रेनेज सिस्टम बनने के बाद से मुंबई की जनसंख्या।
  • 58 में से सिर्फ 28 प्रोजेक्ट ही पूरे हुए 13 साल में। बाकी प्रोजेक्ट पर अभी भी काम ही चल रहा है।
  • एक घंटे में 25 मिलीमीटर तक बारिश हो तो ठीक, उससे अधिक बारिश नहीं संभाल पाता है यह ड्रेनेज सिस्टम।

 

न्यूज़ डेस्क : मुंबई में जारी लगातार मूसलधार बारिश के कारण शहर जलमग्न हो गया है। जल जमाव के कारण रेल सेवाएं बाधित हुई हैं, ट्रैफिक में घंटों लोग फंसे रहे और विमान सेवाओं में देरी हो रही है। स्थानीय प्रशासन ने स्कूल और कॉलेज बंद रखने की घोषणा की है। मौसम विभाग का कहना है कि अभी भारी बारिश थमने वाली नहीं है और शुक्रवार तक बादल ऐसे ही बरसते रहेंगे।

 

लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब मुंबईवासियों को बारिश के बाद जलभराव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा हो। हर साल बारिश शुरू होते ही सड़कों पर पानी जमा होने लगता है। इसके बाद शहरवासियों को ट्रैफिक जाम से लेकर तमाम समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि वो कौन से कारण हैं जिसकी वजह से मुंबई को हर साल इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

हर साल बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) बड़ी धनराशि बारिश से निपटने के लिए जारी करता है। साल 2005 में आई बाढ़ के बाद 13 वर्षों में बीएमसी का बजट 359 फीसदी बढ़ चुका है, लेकिन हालात नहीं सुधरे हैं। अगर हम मुंबई महानगरपालिका के प्रबंधन और बजट की तुलना सिंगापुर से करें तो पता चलता है कि वहां और उसी की तरह अन्य देशों में कम बजट में भी ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त रखा जाता है।

भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, सुपरपावर है, बावजूद इसके यहां की आर्थिक राजधानी मुंबई में कुछ घंटे तेज बारिश से ही जान पर बन आती है। ये वो शहर है जिसे शंघाई बनाने का सपना देखा जाता है। लेकिन मानसून की बारिश से जलमग्न होने वाले मुंबई की तस्वीर हर साल एक जैसी दिखाई देती है। पिछले 10 वर्षों के दौरान यहां कुछ नहीं बदला है। सड़कों पर भरा पानी, ट्रैफिक जाम, पानी में डूबे रेलवे ट्रैक मुंबई की बदसूरती को दुनिया के सामने बयां करते हैं।

पिछले एक दशक में बारिश से बीएमसी ने कोई सबक नहीं लिया है। मुंबई को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के सपने संजोने वाले शहर मुंबई में बारिश के मौसम में मुसीबतों का समंदर सड़कों पर दिखाई देने लगता है। कुल मिलाकर बारिश की वजह से मुंबई में हर वर्ष आपातकाल आ जाता है। दरअसल तेज बारिश के बाद बनने वाली इस परेशानी की वजह मुंबई का खराब ड्रेनेज सिस्टम है। वर्ष 2016-17 में मुंबई के लोगों ने दो लाख 48 हजार करोड़ रुपये का टैक्स दिया, फिर भी मुंबई की बारिश से बचने के लिए उन्हें बीएमसी के उपायों से कोई राहत नहीं मिली।

 

कई राज्यों के बजट से ज्यादा बीएमसी का बजट :  बीएमसी देश की सबसे रईस नगरपालिका है। इसका सालाना बजट गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा के कुल बजट से भी ज्यादा है। वर्ष 2015-16 में बीएमसी ने सड़कों से बारिश का पानी निकालने 401 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जबकि वर्ष 2016-17 में ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए 475 करोड़ रुपये का बजट बनाया था। लेकिन बारिश हमेशा बीएमसी की कलई खोल देती है।

जून 2018 से 2019 के बीच बीएमसी ने मुंबई को गड्ढा मुक्त और ड्रेनेज प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए 4,678.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में बीएमसी ने सड़क, ट्रैफिक और ड्रेनेज प्रणाली के लिए आवंटित बजट का 87.66 फीसदी उपयोग किया था। बावजूद इसके नतीजा पूरा देश और दुनिया के सामने है।

2005 में मुंबई में सबसे ज्यादा 944 मिलीमीटर बारिश की वजह से एक हजार लोगों की मौत हुई थी। तब बीएमसी का बजट 5937 करोड़ था। बारिश का पानी निकालने के कई परियोजनाएं बनाई और शुरू की गईं। वहीं 2018-19 का बजट 27258 करोड़ रुपये है। यानी 13 साल में बजट 359 प्रतिशत तक बढ़ गया। लेकिन मुंबई में तब भी मानसूम के वक्त पानी भर जाया करता था और आज भी वैसी ही स्थिति है।

 

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