नई दिल्ली। 2जी घोटाला वर्ष 2010 में उस समय सामने आया था, जब भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में वर्ष 2008 मे किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए। कंपनियों को नीलामी के बजाय पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें कैग के अनुसार, सरकारी खजाने को अनुमानत: एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका
आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर दिए जाते तो सरकार को काफी लाभ होता। लाइसेंस के आधार पर खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये और मिल सकते थे। इसको लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था और मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी। बाद में इस मामले को लेकर दो केस सीबीआइ ने व एक केस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दर्ज किया था। सीबीआइ के दो मामलों में क्रमश: 17 व आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि ईडी ने अपनी चार्जशीट में 19 लोगों को आरोपी बनाया था।
राजा और कनिमोरी को जेल जाना पड़ा
मामले में पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा के अलावा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की बेटी व राज्यसभा सदस्य कनिमोरी को भी आरोपी बनाया था। राजा और कनिमोरी को जेल जाना पड़ा था और बाद में उन्हें जमानत मिली थी।
सीबीआइ ने एक मुकदमे में इन्हें बनाया था आरोपी
1. ए राजा: पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और डीएमके नेता ए राजा पर आरोप था कि उन्होंने नियमों को दरकिनार कर 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की। सीबीआइ के अनुसार, राजा ने वर्ष 2008 में वर्ष 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेचा और पैसे लेकर गलत ढंग से पसदीदा कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित किया। राजा को इस मामले में पहले तो मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए और जेल भी जाना पड़ा था। 15 महीने के बाद उन्हें जमानत मिली थी।
2. कनिमोरी: डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि की बेटी एवं राज्यसभा सदस्य कनिमोरी पर आरोप था कि उन्होंने अपने टीवी चैनल कलैगनार टीवी के लिए 200 करोड़ रुपये की रिश्वत स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक शाहिद बलवा से ली और बदले मे बलवा की कंपनियों को ए राजा ने गलत ढंग से स्पेक्ट्रम दिलाया।
3. शरद कुमार: कलैगनार टीवी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार पर कनिमोरी के साथ मिलकर घोटाले में शामिल होने का आरोप था।
4. सिद्धार्थ बेहुरा: ए राजा के दूरसंचार सचिव थे। राजा के साथ मिलकर घोटाले में काम करने और उनकी मदद करने का आरोप था। बेहुरा भी ए राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए थे।
5. आरके चंदोलिया: ए राजा के पूर्व निजी सचिव पर आरोप था कि उन्होंने राजा के साथ मिलकर कुछ ऐसी निजी कंपनियों को लाभ दिलाने के लिए षड्यंत्र किया, जो इस लायक नहीं थीं। चंदोलिया भी बेहुरा और राजा के साथ ही 2 फरवरी 2011 को गिरफ्तार हुए थे।
6. शाहिद उस्मान बलवा: स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक बलवा पर सीबीआइ का आरोप था कि उनकी कंपनियों को जायज से कहीं कम दामों पर स्पेक्ट्रम आवंटित हुआ। बलवा को 8 फरवरी 2011 को जेल भेजा गया था।
7. विनोद गोयनका: स्वान टेलिकॉम के निदेशक पर सीबीआइ ने आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने साझीदार शाहिद बलवा के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र में भाग लिया था।
8. स्वान टेलिकॉम: वर्तमान में एतिसालात डीबी टेलीकॉम।
9. आसिफ बलवा: शाहिद बलवा के भाई कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजीटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) में 50 फीसद के हिस्सेदार थे। राजीव अग्रवाल के साथ आसिफ बलवा को भी 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था।
10. करीम मोरानी: सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट) के निदेशक मोरानी पर आरोप था कि उन्होंने कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) से 200 करोड़ रुपये लिए और कनिमोरी को 200 करोड़ रुपये रिश्वत दी, ताकि शाहिद बलवा की कंपनियों को गलत ढग से स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाए।
11. राजीव अग्रवाल: कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) के निदेशक अग्रवाल पर आरोप था कि उनकी कपनी से 200 करोड़ रुपये रिश्वत के लिए करीम मोरानी की कंपनी सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट) को दिए गए, जहां से यह धनराशि कनिमोरी तक पहुंचाई गई। राजीव अग्रवाल को 29 मई 2011 को गिरफ्तार किया गया था।
12. संजय चंद्रा: सीबीआइ के अनुसार यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक चंद्रा की कंपनी भी घोटाले के बड़े लाभार्थियों में से एक थी। स्पेक्ट्रम लेने के बाद उनकी कंपनी ने स्पेक्ट्रम को विदेशी कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेच दिया था और मोटा मुनाफा कमाया। चंद्रा को 20 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार किया गया था।
13. यूनिटेक: यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) लिमिटेड पर घोटाले के बड़े लाभार्थियों में शामिल होने का आरोप था।
14-16. गौतम दोशी, सुरेद्र पिपारा और हरी नायर: अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के ये तीन शीर्ष अधिकारी थे। इन तीनों पर भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था। इन तीनों अधिकारियों को 20 अप्रैल 2011 को जेल भेजा गया था।
17. रिलायंस टेलीकॉम: अनिल अंबानी समूह की कपंनी रिलायंस टेलीकॉम।
सीबीआइ के दूसरे मुकदमे में इन्हें बनाया गया था आरोपी
1. रविकांत रुइया, एस्सार समूह के प्रोमोटर
2. अंशुमन रुइया, एस्सार समूह के प्रोमोटर
3. विकास सर्राफ, निदेशक, एस्सार समूह
4. एस्सार टेलीहोल्डिंग
5. आइपी खेतान, लूप टेलिकॉम के प्रोमोटर
6. किरण खेतान, लूप टेलिकॉम की प्रोमोटर
7. लूप टेलिकॉम
8. लूप मोबाइल (इंडिया) लि.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन्हें बनाया था आरोपी
1. ए. राजा, पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री
2. शाहिद उस्मान बलवा, स्वान टेलिकॉम के महाप्रबंधक
3. विनोद गोयनका, स्वान टेलिकॉम के निदेशक
4. आसिफ बलवा, शाहिद बलवा के भाई, कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) में 50 फीसद के हिस्सेदार
5. राजीव अग्रवाल, कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल (वर्तमान में कुसगांव रियलिटी) के निदेशक
6. करीम मोरानी, सिनेयुग फिल्म्स (वर्तमान में सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेट) के निदेशक
7. शरद कुमार, कलैगनार टीवी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी
8. एमके दयालु अम्मल, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की पत्नी
9. कनिमोरी, राज्यसभा सदस्य
10. पी. अमृतम, कलैगनार टीवी के डायरेक्टर
11. एतिसालात डीबी टेलिकॉम (पूर्व में स्वान टेलिकॉम)
12. कुसगांव रियलिटी (पूर्व में कुसगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स)
13. सिनेयुग मीडिया एंड एंटरटेनमेट (पूर्व में सिनेयुग फिल्म्स)
14. कलैगनार टीवी
15. डायनामिक्स रियलिटी
16. इवरस्माइल कंस्ट्रक्शन कंपनी
17. कॉनवुड कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स
18. डीबी रियलिटी
19. मिस्टिकल कंस्ट्रक्शन (पूर्व में निहार कंस्ट्रक्शन्स)
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