रिजर्व बैंक से कर्ज लेने के प्रस्ताव का बीजेपी शासित राज्यों के साथ-साथ 15 राज्यों ने किया विरोध

सिर्फ दो राज्य वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के प्रस्ताव से सहमत

अगले चार दिनों में राज्य जीएसटी संग्रह के मुद्दे पर लेंगे फैसला

 

 

न्यूज़ डेस्क : जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र की ओर से राज्यों को रिजर्व बैंक से कर्ज लेने के प्रस्ताव का 15 राज्यों ने विरोध किया है। इनमें कुछ एनडीए शासित राज्य भी शामिल हैं। वहीं सिर्फ दो राज्यों ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सुझाव का समर्थन किया है। जबकि दो अन्य ने वैकल्पिक प्रस्ताव पेश किए। जीएसटी संग्रह में राज्यों को बकाया न चुकाए जाने से  नाराज राज्य अब अगले चार दिन सोमवार से गुरुवार तक आपस में विचार-विमर्श कर केंद्र को अंतिम निर्णय से अवगत कराएंगे।

 

 

पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने रविवार को इस संदर्भ में कहा, केंद्र सरकार का प्रस्ताव संघीय ढांचे पर कुठाराघात है। कोविड-19 से केंद्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों के भी कर संग्रह में कमी आई है। यही वजह है कि जहां तेलंगाना सरकार अपने कर्मचारियों को सिर्फ 50 फीसदी तनख्वाह दे पा रही है वहीं महाराष्ट्र और कर्नाटक में कर्मचारियों की 25 फीसदी सैलरी  काटी गई  है। इसके अलावा कोई भी राज्य पेंशन नहीं दे पा रहा है। ऐसे में सरकार का यह सुझाव संघीय ढांचे को ध्वस्त करने की साजिश मालूम होता है।

 

 

जेटली ने खुद कहा था, 5 वर्ष तक केंद्र ही जीएसटी संग्रह की कमी पूरी करेगा

अमित मित्रा ने कहा, 2017 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में कोलकाता में हुई जीएसटी सशक्त समिति की बैठक में यह तय हुआ था कि 5 वर्ष तक राज्यों के जीएसटी संग्रह में आई कमी को केंद्र सरकार पूरा करेगी।

 

यही नहीं, बतौर नेता विपक्ष 2013 में संसद में बोलते हुए जेटली ने तत्कालीन यूपीए सरकार के जीएसटी कानून का यही कहते हुए विरोध किया था कि उन्हें भरोसा नहीं है यह सरकार राज्यों के कर संग्रह में आई कमी को पूरा करेगी। आज उनकी इस आशंका को उनकी ही सरकार सही साबित कर रही है।

 

 

केंद्र ले सकता है कर्ज, राज्य नहीं

राज्य सरकारों का मानना है की उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह रिजर्व बैंक से कर्ज ले सकें जबकि केंद्र के पास सरप्लस फंड है जिनका जिक्र वित्तमंत्री ने जीएसटी बैठक में भी किया। केंद्र को रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज 2 फीसदी कम दर पर मिलता है और उसके पास धन की कमी होने पर मौद्रीकरण (करेंसी छापने) का विकल्प भी है जो राज्यों के पास नहीं है।

 

तो डिग जाएगा राज्यों का भरोसा

‘जीएसटी एक राष्ट्रीय मुद्दा है जिस पर अभी तक सभी फैसले सर्व सम्मति से होते रहे हैं। किंतु यदि केंद्र ने इस विषय पर अड़ियल रुख अपनाया तो केंद्र से राज्यों का भरोसा डिग जाएगा।’-अमित मित्रा, वित्तमंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार

 

एक्ट ऑफ ‘गॉड’ नहीं…‘फ्रॉड’

मित्रा ने कहा, 14 मार्च को हुई जीएसटी नेटवर्क की बैठक में जीएसटीएन के अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ने बताया था कि जीएसटी संग्रह में घोटालों की वजह से 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उनका कहना था यह निर्मला सीतारमण के मुताबिक एक एक्ट ऑफ गॉड है जबकि नीलकेणी के मुताबिक यह एक्ट ऑफ फ्रॉड है।

 

 

ट्विटर पर चुटकी: पूछा, क्या आमकरदाता भी कर सकता है इनकार

कोविड को एक्ट ऑफ गॉड करार देते हुए वित्त मंत्री द्वारा राज्य सरकारों का बकाया न चुकाने का जिक्र करते हुए एक सेवानिवृत्त आईएएस अनिल स्वरूप ने ट्विटर पर लिखा, क्या इस तर्क को अपनाते हुए आम करदाता भी अपना कर चुकाने से इनकार कर सकता है?

 

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