नई दिल्ली। 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास बनाने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आने वाले दिन भारी पड़ सकते हैं, यहां तककि उनकी सरकार भी जा सकती है। दरअसल, लाभ के पद के एक और मामले में रोगी कल्याण समितियों के अध्यक्ष बनाए गए 13 और आम आदमी पार्टी विधायकों पर तलवार लटकी हुई है। पिछले दिनों लाभ के पद के ही मामले में 20 विधायकों की सदस्यता गंवा चुकी आम आदमी पार्टी 46 विधायकों पर आ सिमटी है। ऐसे में अगर इन 13 विधायकों की सदस्यता भी गई तो केजरीवाल की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। बताया जा रहा है कि इस मामलों को निबटने में कुछ महीनों का वक्त लग सकता है।
यह है मामला
लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग ने अब विभिन्न सरकारी अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों के अध्यक्ष बनाए गए विधायकों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। दबी पड़ी इन विधायकों की शिकायत से संबंधित फाइल को निकाला गया है।
चुनाव आयोग इन विधायकों को जल्द ही फिर से नोटिस भेज सकता है। आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद अब इस पार्टी के 13 अन्य विधायकों की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। इन विधायकों की हालत पिछले एक सप्ताह से अधिक खराब है।
अधिवक्ता विभोर आनंद ने 22 जून 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से शिकायत की थी कि आप के 27 विधायक लाभ के पद पर हैं। इसे उन्होंने चुनाव आयोग को भी भेजा था।
शिकायत में कहा गया था कि आप सरकार ने 27 विधायकों को दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों की रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष बनाया हुआ है जो लाभ का पद है। उन्होंने आप के इन विधायकों की सदस्यता निरस्त किए जाने की मांग की थी।
नियम के अनुसार समितियों में इलाके के विधायक अध्यक्ष नहीं हो सकते हैं। इन 27 में से 11 विधायक ऐसे हैं जो संसदीय सचिव थे, अब इनकी सदस्यता समाप्त हो चुकी है।
बचे हुए 16 में से दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल व विधायक पंकज पुष्कर दावा कर चुके हैं कि वह किसी अस्पताल के अध्यक्ष नहीं रहे हैं।
वेद प्रकाश विधायक के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में 13 विधायक रोगी कल्याण समिति मामले में फंस सकते हैं।
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