हार्वर्ड ने ट्रंप की मांगों को ठुकराया, ट्रंप प्रशासन ने 2.2 अरब डॉलर की फंडिंग पर लगाई रोक

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,17 अप्रैल।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी हार्वर्ड के बीच एक बड़ा टकराव सामने आया है। ट्रंप प्रशासन ने 15 अप्रैल 2025 को घोषणा की कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दी जा रही 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 2 लाख करोड़ रुपये) की फंडिंग को तत्काल प्रभाव से रोक रहा है।
इसकी वजह हार्वर्ड द्वारा ट्रंप प्रशासन की एक विस्तृत मांग-पत्र को खारिज करना है। व्हाइट हाउस ने यह मांग-पत्र यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव को लेकर भेजा था। हार्वर्ड ने इसे संवैधानिक और शैक्षणिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताते हुए नामंजूर कर दिया।
व्हाइट हाउस का कहना है कि कैंपस में यहूदी छात्रों के खिलाफ विरोध, भेदभाव और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। प्रशासन का आरोप है कि हार्वर्ड जैसे प्रमुख संस्थान यहूदी-विरोधी माहौल पर काबू पाने में विफल रहे हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गार्बर ने इन मांगों को खारिज करते हुए कहा, “हम किसी भी कीमत पर अपनी स्वतंत्रता या संवैधानिक अधिकारों का त्याग नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी यहूदी विरोधी भावना को गंभीरता से लेती है, लेकिन सरकार की कुछ मांगें सीधे संस्थान के आंतरिक कार्यों में दखल देती हैं।
गार्बर के अनुसार, ट्रंप प्रशासन की अधिकतर मांगें विश्वविद्यालय को प्रत्यक्ष सरकारी नियंत्रण में लाने जैसा था, जो किसी भी स्वतंत्र शिक्षण संस्था के लिए अस्वीकार्य है।
ट्रंप प्रशासन की 10 श्रेणियों में बाँटी गई प्रमुख मांगों में शामिल थे:
➤ यहूदी विरोधी घटनाओं के लिए जिम्मेदार विभागों की जानकारी दी जाए,
➤ अमेरिकी मूल्यों का विरोध करने वाले छात्रों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए,
➤ हर विभाग में विविधता सुनिश्चित हो,
➤ विश्वविद्यालय की विविधता, समानता और समावेशन (DEI) नीतियाँ खत्म की जाएं,
➤ पिछली विरोध घटनाओं में शामिल छात्रों पर कार्रवाई हो।
इन मांगों को न मानने पर फंडिंग रोकने की चेतावनी दी गई थी, जिसे अब लागू कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने कहा, “यहूदी छात्रों का उत्पीड़न अस्वीकार्य है और यदि हार्वर्ड को फंडिंग चाहिए, तो उसे बदलाव करने होंगे।”
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन ने ऐसा कड़ा कदम उठाया हो। इससे पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी से भी 40 करोड़ डॉलर की फंडिंग वापस ले ली गई थी, जहां प्रशासन ने अंततः कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया था।
दिसंबर 2023 में, इसराइल-हमास युद्ध के बाद यह मुद्दा और गरमा गया था। कांग्रेस में हुई सुनवाई में प्रमुख विश्वविद्यालयों को यहूदी छात्रों की सुरक्षा में विफल बताया गया। मार्च 2025 में हार्वर्ड पर भी फंडिंग की समीक्षा शुरू हुई। इसके जवाब में प्रोफेसरों ने सरकार पर शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों और अमेरिका की प्रमुख यूनिवर्सिटियों के बीच स्वतंत्रता बनाम नियंत्रण की लड़ाई और तीव्र होती जा रही है।

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