शशि थरूर ने मोदी की तारीफ की, कांग्रेस के भीतर मचा तूफान

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है और राहुल गांधी को करारा झटका दिया है। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान, शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की, जिन्हें राहुल गांधी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। उनकी इस प्रशंसा ने कांग्रेस के सदस्यों को स्तब्ध कर दिया। थरूर ने कहा कि भारत अब इस स्थिति में है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो जेलेंस्की और पुतिन को एक साथ ला सकता है।

थरूर ने स्वीकार किया कि उन्होंने पहले “भारत की बेटी” को लेकर की गई अपनी टिप्पणी में गलती की थी और अब उन्हें यह अहसास हो गया है। उन्होंने कहा कि वह अभी भी अपनी पिछली टिप्पणी के प्रभाव से प्रभावित हैं और अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वर्ष 2000 में, जब वैश्विक नियमों और मानकों के उल्लंघन की बात आई, तो उन्होंने अकेले ही इस पर सवाल उठाया था।

थरूर ने अपनी पिछली टिप्पणियों के लिए माफी मांगते हुए सार्वजनिक रूप से पीएम मोदी को उनकी कूटनीतिक सफलताओं का श्रेय दिया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मोदी जिस तरह से विदेश नीति को संभाल रहे हैं, वैसा भारत में पहले कभी नहीं देखा गया। मोदी की प्रशंसा करने से कांग्रेस में असहजता फैल गई है, खासकर तब जब पार्टी पिछले तीन वर्षों से मोदी की नीतियों की आलोचना कर रही थी। थरूर का यह बयान कांग्रेस की ओर से मोदी के खिलाफ चलाए जा रहे मीडिया अभियान और सोशल मीडिया हमलों को कमजोर करता नजर आ रहा है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि विदेश नीति के जानकार और अनुभवी राजनयिक थरूर ने मोदी की विदेश नीति की शैली की खुले तौर पर सराहना की है। एक समय पर वे मोदी की विदेश नीति के आलोचक थे और कांग्रेस में उन्हें ऐसा नेता माना जाता था जो मोदी की कूटनीति को चुनौती दे सकते थे। लेकिन अब उनके हालिया बयानों से यह संकेत मिल रहा है कि वे अपने विचार बदल रहे हैं और मोदी की नीतियों के करीब आते जा रहे हैं।

थरूर की इन टिप्पणियों के बाद कांग्रेस में यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या वे भाजपा में शामिल होने का मन बना रहे हैं, क्योंकि वे लगातार मोदी के नेतृत्व की तारीफ कर रहे हैं। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस, खासकर केरल इकाई, आंतरिक कलह से जूझ रही है। वास्तव में, जब से थरूर ने पार्टी चुनावों में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनौती दी है, तब से वे पार्टी में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं, खासकर गांधी परिवार की नजरों में।

थरूर के आलोचकों का कहना है कि उनकी विदेश नीति की समझ उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित कर सकती है, लेकिन उनके हालिया बयान बताते हैं कि वे कांग्रेस नेतृत्व से खुद को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर रूस-यूक्रेन मामले पर मोदी की नीति की सराहना करने से कांग्रेस के भीतर उनके भविष्य को लेकर संदेह बढ़ गया है।

कुछ लोग मानते हैं कि थरूर के इस रुख से वे भाजपा में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, जिससे भाजपा को केरल में अतिरिक्त मजबूती मिल सकती है। लेकिन अगर कांग्रेस उन्हें बाहर कर देती है, तो यह खुद कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है और थरूर की स्थिति कांग्रेस से बाहर और मजबूत हो सकती है।

पिछले दिनों, थरूर मोदी की विदेश नीति के बड़े आलोचक रहे हैं, खासकर रूस-यूक्रेन संकट के समय भारत के रुख को लेकर। उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने और यूक्रेन मुद्दे पर भारत की तटस्थता की खुले तौर पर आलोचना की थी। लेकिन तीन साल बाद, अब वे अपने पुराने विचारों को बदलते हुए मोदी की नीति की तारीफ कर रहे हैं।

थरूर के इस बदलाव ने कांग्रेस के भीतर विवाद पैदा कर दिया है। अब कई लोग मांग कर रहे हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी, थरूर के इस बयान पर प्रतिक्रिया दें। यह कांग्रेस पार्टी के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि उसे अपनी विदेश नीति की रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत पड़ सकती है।

अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस थरूर के मन परिवर्तन को स्वीकार करेगी? क्या उनका यह बदलाव पार्टी में व्यापक दरार को दर्शाएगा? और कांग्रेस अपने पुराने नेताओं के बीच बढ़ती खाई को कैसे संभालेगी?

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